जेकर बनरी उहे नचावे (बतकुच्चन 161)

by | Jul 8, 2014 | 0 comments

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जेकर बनरी उहे नचावे, आन खेलावे काटे धावे. कहला के मतलब कि जवन जेकर काम ह, जवना काम में जे पारंगत बा, उ काम ओही आदमी के करे के चाहीं. दोसर केहु करे चली त नुकसान होखे के अनेसा रहेला. एही बात के एगो मतलब अउर निकलेला. पोसुआ अपना मालिके के बाति मानेला. दोसर केहु अगर ओकरा से कुछ करावल चाही त काटे भले ना, खोंखियइला से बाज ना आई. पोस मानेवालन में कुकुर सबले उपर होला जबकि बिलाई का बारे में कहल जाला कि उ पोस ना माने. ओकरा एह चुहानी से ओह चुहानी ले चक्कर मारे के आदत होला. जबसे देश के निजाम बदलल बा तबसे पोसुआ लोग बेचैन हो गइल बा. कवनो ना कवनो बहाने बवाल खड़ा करावे ला बेचैन बा लोग. देखल जाव कि नयका निजाम के पोस माने में एह लोग के कतना समय लागत बा. देर भले हो जाव आखिर में एह लोग के पोस मानही के बा. काहे कि पोसुआ के आदत पड़ जाला बइठल खाए के. भोजन के तलाशल भा ओकर इंतजाम करे के मशक्कत बाद में पोसुअन का बस में ना रहि जाव. अरधो कहे त सरबो बूझे, सरबो कहे त बरधो बूझे के कहाउत प्रचलित होखला का बावजूद कबो कबो आम मनई इशारा ना समुझ पावे. बाकिर पढ़े देखे सुनेवाला लोग रोजे एह अनुभव से दू चार होखत होखी. अंगरेजी के कहाउत ह कि बढ़िया पाठक रीड बिट्विन द लाइन करे में माहिर होला. वइसहीं टीवी देखे सुनेवाला लोग के धेयान देबे के चाहीं कि का कहल जात बा, आ काहे कहल जात बा. धेयान देब त पता चल जाई कि का नइखे कहात. कई बेर जवन कहाला तवना से अधिका खास उ होला जवन कहे से बाचल जाला. महाभारत के युग में धर्मराज कहाए वाला युद्धिष्ठिरो से लोग कहवाइए लिहल कि ‘अश्वत्थामा हतो नरो वा कुञ्जरो वा..’.

चलत चलत आजु आपन एगो कमजोरी के चरचा कइल चाहत बानी. बरीसन ले हमरा हमेशा उनइस, उनतीस, नवासी आ उनासी वगैरह के समुझे में दिक्कत होत रहे. कवनो मास्टर साहब जहमत ना उठवले कि सही से समुझा देसु. बस अतने याद राखे के कहे लोग कि दस नौ उनइस, बीस नौ उनतीस वगैरह. जब स्कूल काॅलेज के चक्कर छूट गइल त एकदिन अनायासे एह बात के जवाब मिल गइल. उन मतलब एक कम. बीस से एक कम उनबीस उच्चारण का सुविधा से उनइस हो गइल, तीस से एक कम उनतीस, चालीस से एक कम उनचालीस, पचास से एक कम उनपचास ना उनचास, साठ से एक कम उनसठ, सत्तर से एक कम उनसत्तर ना उनहत्तर, आ अस्सी से एक कम उनअस्सी ना उनासी हो गइल. बाकिर ई क्रम एहीजे ले. एकरा बाद नब्बे से एक कम ला उन नब्बे ना कहा के नव आ अस्सी नवासी कहाला, सौ से एक कम उनसौ ना कहा के नव आ नब्बे निनान्बे कहल जाला. एह बात के एतना चरचा नवहियन के धेयान में राख के क दिहनी. काहे कि अब के नवहियन के त हिंदी वाला गिनितिए ना समुझ में आवे. पापा चौंसठ क्या होता है? बेटा सिक्स्टी फोर. थैक्यू पापा.
शायद अइसने कवनो बात ब कहाउत बन गइल होखी कि बाप के नाम साग-पात बेटा के नाम परोरा!

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अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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