सहकल, बहकल आ डहकल (बतकुच्चन – 182)

by | Dec 18, 2014 | 0 comments

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सहकल, बहकल आ डहकल के चरचा करे के मन करत बा आजु. काहे कि देश में कुछ लोग के अतना सहका दिहल गइल बा कि ऊ बहकल बन गइल बाड़े आ एह बात के कवनो चिन्ता नइखन करत कि उनकर बेवहार केहू के डहकावतो बा.

सहके से सहकत, बहके से बहकत, आ डहके से डहकत बनेला. बाकिर केहू के बहकवला से सहकल लोग के मान के चले के चाहीं कि डहकल के सीमा पारे होखे लागेला त आदमी दहके लागेला. आ दहकत आदमी दहकावे वाला ला खतरनाको हो सकेला. आ ई बात दहवावे जोग नइखे. एह पर पूरा बतकुच्चन करे के जरूरत बा. दहल आ दहलल के फरक अलगे रही बतियावे ला.

सहके आ बहके में फरक समुझावे के होखे त कह सकीलें कि सहकल आदमी करे ला अपना मन के बाकिर ओकरा दोसरा के सह मिलल रहेला. सह माने सहयोग भा साथ. जबकि बहकल आदमी अपना राह से अलग हो जाला आ ऊ काम करे लागेला जवन बहकावे वाला चाहेला. हालांकि अलग बात बा कि कई बेर सहकत आदमी बहकत बन जाला काहें कि ओकर आपन कवनो योजना भा लक्ष्य ना होखे. पेड़ से गिरल पतई लेखा ऊ हवा में उधियात जाला आ ओकरा वश में ना होखे कि कहाँ जा के गिरी. एही से कहल जाला कि घर से भागल आदमी आ पेड़ से गिरल पतई के कवनो ठिकाना ना होखे कि ऊ कहाँ जा पहुँची. ईहे हाल हो गइल बा दोसरा के सहकवला आ बहकवला से ओह जमात के जवन बस आपने चिन्ता करे में लागल बा. आ आपनो चिन्ता कर लीत त खुशी के बात होखीत. एहिजा त ओकरा समुझे में नइखे आवत कि ऊ जवन करत बा तवन सही बा कि गलत.

एही तरह डहकल आदमी कब दहकत बन जाव कहल ना जा सके. जरेला दुनू बाकिर डहकल अपने के नुकसान चहुँपावेला आ दहकल अपना दहक से दोसरो के दहका सकेला. एकरे के बैकलैश कहल जाला. बैकलैश माने घोड़ा के दुलत्ती. सामने वाला कब पलट के वार करे पर उतर जाई ई अगर पता रहे त शायद डहकावेवाला समय रहते चेत जासु. बाकिर हर वस्तु भा आदमी खातिर ई ताव अलग अलग होला. केहू कमे गरमी भा ताव पा के दहक जाला त केहू के अधिका गरमी, अधिका ताव खोजेला दहके खातिर. डहकल आदमी अपना कष्ट से जरत रहेला बाकिर मनही मन रोवेला. एक सीमा का बाद जब ऊ दहक जाला, दहकल आदमी हो जाला त सामने वाला के दहकावे जोग ताव आ जाला ओकरा में. पता ना कई हजार साल से एगो आदमी डहकत आवत बा आ अब ऊ थोड़ बहुत दहके लागल बा. दहक के ताव बढ़ल जात बा त दहके वालन के गिनितियो बढ़ल जात बा.

बात ढेर लमहर हो जाव ओकरा से पहिलही हम दहल आ दहलल के फरक बता के बात दहवा दिहल चाहब. बाकिर देखत बानी कि बात बढ़ल जात बा आ कुछ अउरो दलके लागल बा. से दहल आ दलकल के चरचा अगिला बेर.

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(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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