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अगवढ़ आ अगवाह (बतकुच्चन – 187)

by | Apr 12, 2015 | 0 comments

admin
बतकुच्चन आ समाचारन में कवनो संबंध ना होखे बाकिर समाचारन से बतकुच्चन करे के मसाला मिलत रहेला. अब देखीं ना, फोने क के एगो नामी वकील अपना नामी आरोपी के जमानत दिआ दिहलें. ई नामी वकील जब सरकार में मंत्री रहलें तब ओह नामी आरोपी के सरकार का तरफ से कई लाख के अनुदान दिअवले रहुवन. शायद एही से कहल जाला कि विद्वान वकील कानून जानेला आ चालाक वकील जज के. खैर, ना त हमरा न्यायालय के मानहानि में अझुराए के बा ना राजनीति में. हम त बस बतकुच्चन करे आइल बानी, बतकुच्चन क के चलत बनब.

हँ त जमानत कई तरह के होला. एगो त ऊ जवन गिरफ्तारी का बाद मिलेला आ आम आदमी अतने से खुश हो जाला. बाकिर नामी आदमी गिरफ्तारी से पहिलहीं जमानत ले लेला आ एकरा के हिन्दी में अग्रिम जमानत कहल जाला. बाकिर भोजपुरी में कहे के होखे त का कहल जाव. टटका खबर पर एह ला अगवाह जमानत के इस्तेमाल सुननी. त सोचे लगनी कि अउरी कवन शब्द एह तरह के हो सकेला त मिलल कि भोजपुरी में अइसनका ढेरहन शब्द मौजूद बा. अब ढेरहन सुन के अगुतइला के जरुरत नइखे. काहे कि अगुताए के सोचते अगवे भेंटा जाई अगवहे आ एकरो के अग्रिम का बदले इस्तेमाल कइल जा सकेला. अगवढ़, अगउर, अगता, अगताह, अगहरि, अगाऊ, अगाड़ आ अगाड़ी जइसन शब्दन के इस्तेमाल एह अग्रिम का रुप में होखल करेला. बाकिर अधिका इस्तेमाल होखेला पेशगी का रूप में, साटा का बयाना का रूप में. जब कवनो काम के भुगतान के कुछ हिस्सा काम होखे का पहिलही दिहल जाला. एह तरह से देखीं त अग्रिम जमानत के अग्रिम ला एहमें से बहुते शब्द के इस्तेमाल बेजगहा लाग सकेला. काहे कि जेल गइल अपराध कइला के मजूरी ना ह, सजाय ह. बाकिर बतकुच्चन खातिर कहल जा सकेला कि जेल के सजायो एक तरह के भुगताने ह. बाकिर जमानत त ओह भुगतान के रोक देला त भुगतान के अगता कइसे हो सकेला.

कवनो घटना के पहिले का घटना का रूप मे फगुआ का पहिले अगजा होखेला. सम्मत के आग जरावे वाला आगजनी ह अगजा. आ सम्मत में सहमति के भाव ना होके ई संवत के बिगड़ल रुप ह. अगजा में एगो संवत जर जाला आ दुसरका संवत के अगवल जाला, अगवन होखेला. अगवल आ अगवन स्वागत के कहल जाला. एही तरह घटना के पहिलही जान जाए वाला के अगमजानी कहल जाला. आ कवनो गोल के नायक के अगमानीं कहल जाला.

त देख लिहनी कि एगो खबर का बहाने कतना शब्दन के चरचा हो गइल. कुछ रउरो सभे करतीं त आनन्द आ जाईत. भोजपुरी में शब्दन के कमी नइखे. अलगा-अलगा अलगा तरह से बोले जाए वाली भोजपुरी में एके अर्थ वाला अनेके शब्द होखेला आ एके शब्द के अनेको अर्थ निकल जाला. एकरे चलते भोजपुरी बदनाम हुई, दुअर्थी तेरे चलते!

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