बुड़बको से बड़ बुड़बक (बतकुच्चन – १४७)

by | Feb 14, 2014 | 0 comments

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कुछ दिन पहिले के बात ह जब बाबा लस्टमानंद के चिट्ठी मिलल रहे कि बुड़बक शब्द कहाँ से आइल आ एकरो से बड़ बुड़बक ला कवनो शब्द बा कि ना. अब एह बात पर कुछ बोलीं एहसे पहिले दू गो अउर शब्दन से निपट लेत बानी. उ शब्द हई सँ बुझक्कड़ आ बूझनउक. दुनू शब्द बूझले से जुड़ल बा. बाकिर बुझक्कड़ बिना कुछ बुझले बूझे के बात करेला जबकि बूझनउक बात समूझ के समुझे वाला के कहल जाला. बुझक्कड़ से बड़हन बुझक्कड़ के कुछ लोग लाल बुझक्कड़ो कहेला. एतना बतवला का बाद इहो बता दिहल जरूरी लागत बा कि बतकुच्चन करे वाला बेशक बुझक्कड़ होले, लाल बुझक्कड़ होखसु भा ना. आ बूझनउक होखे के दावा कइल खतरा से खेलला जइसन हो जाई. अब एह भाषाई चेतावनी का बाद आग बढ़त बानी जइसे सिगरेट पिए वाला लोग सिगरेट से होखे वाला नुकसान के जानकारी लिहला का बादो अपना जिनिगी से खेले ला तइयार रहेलें.

सबसे पहिले त एही से निपटल जरूरी लागत बा कि बूड़बक कि बुरबक. काहे कि पहिले तय हो जाव त शब्द के तूड़ लमार के कुछ ना कुछ मतलब निकाले के काम कइल जाव. साथ ही बक के मतलबो पहिलही फरिया लिहल जरूरी होखी. बक बगुला वाला बक कि वक्र वाला बक? मामिला अझुराइल बा आ सझुरावे के काम बूझनउक भाषाविज्ञानियन ला छोड़ के आग बढ़त बानी. हमार काम बतकुच्चन करे के ह से बतकूचने ले बान्ह के राखब अपना के.

पहिले मान लीं कि सही शब्द बुड़बक ह. आ बक बगुला वाला बक ह. त बुड़बक ऊ बगुला ह जे पानी में बूड़ के आपन शिकार करेला. अब ई बात त बुड़बकाही के भइल ना. एहमें त बहुते चतुराई झलकत बा. आ अकर बक वक्र के बिगड़ल रूप ह त बुड़बक उ भइल जे अपना वक्र बात से टेढ़ बात से बूड़ात जाला. कहल जा सकेला कि बक वक्र से ना वक से बनल शब्द ह. वक माने बोलना, बोलल. त बुड़बक उ जे अपना बोली से चिन्हा जाला कि उ कतना बूड़ल बा, गिरल बा, कमजोर बा, अनजान बा, अज्ञानी बा.

बाकिर अगर बुरबक शब्द सही ह तब? बुरबक माने कि बुरा बात कहे वाला, गलत बात कहे वाला. एहिजा बुरा आ वक्र दुनू तरह के बात हो सकेला. माने कि बुरबक उ जे खराब, गलत, टेढ़ मेढ़ बात बोलत होखो. फैसला रउरा सभे प छोड़त बानी. रउरो लोग बरकुच्चन कइल शुरू क दीं काहे कि ई बेमारी लरछूताह ह. लरछूताह माने जवन अपना छूत के लर बना दे, लाइन लगा दे, एक से दोसर, दोसर से तिसर, तिसर से चउथा, वगैरह वगैरह. आ एकर असर रउरो सभे देख सकीले, आजमा सकीले. हमार बात मानलीं बड़ा मजा आई. एही बहाने बहुत कूछ सोचे समुझे के मौका मिल जाला.

एक बेर फेरु लवटत बानी बुड़बको ले बड़ बुड़बक पर. बुड़बको से बड़ बुड़बक? करियो ले बड़ करिया? हालांकि करियो ले बड़ करिया ला कुचकुच करिया कहल जाला बाकिर बुड़बक से बड़ बुड़बक? मतसुन मतिशून्य के बिगड़ल रूप, बताह, बकलोल, बकचोन्हर, बोका, गदहा कई गो शब्द धेयान में आवत बा बाकिर कवनो शब्द बुड़बक के बरोबरी नइखे चहूँपत. मतसून के कूछ बूझइबे बा करे काहे कि ओकरा लगे मति, दिमागे नइखे. इ त पागल जस हो गइल आ अइसने हो गइल बताह. हालांकि बताह ओकरो ला इस्तेमाल हो सकेला जे ढेर बकबक करत होखे, मौका मिलते शुरू हो जात होखे बतियावल. बक लोल त उ जेकर लोल, मुँह बक खराब होखे आ बकचोन्हर जेकर दृष्टि खराब कमजोर होखे. हमार त अब दिमागे भकुआ गड़ल बा.से अब एहिजे बस करत बानी.

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अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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