लग्गी से पानी पिआवल (बतकुच्चन १५५)

by | Apr 23, 2014 | 0 comments

admin
मौका आ माहौल चुनाव के बा से सभे लग्गी से पानी पिआए में लागल बा. लग्गी से पानी पिआवल एगो मुहावरा ह जवना के मतलब होला झुठहीं के कवनो काम कइल. जवना काम के कवनो फल नइखे मिले वाला. हालांकि सोचेवाली बात बा कि लग्गी का सहारे फल त तूड़ले जाला त फेर लग्गी से पानी पिआवल ओरहन के बात कइसे बन गइल ? वइसे लग्गी से पानी पिआवल बहुते मुश्किल काम होखे के चाहीं काहे कि तनिको हाथ हिलल त पानी जमीन प गिर जाई. एही चलते शायद लग्गी से पानी पिआवे का काम प नेतवन के एकाधिकार जइसन हो गइल बा.

फेर सोचत बानी कि लगे त नजदीक के कहल जाला आ एह लगे से लगाइत कतना शब्द बन गइल बा. लगे, लगही, लगाइत, लगले, लगुआ, लगावल, लग्गी वगैरह. अब कुछ मजकिया आदमी एहीमें लुगा भा लुंगीओ जोड़ सकेले काहे कि उहो त देहि से लगले रहेला बाकिर हम ना जोड़ब. लगे नियरो होला आ पालेहु. तोहरा लगे का बा सवाल के जबाब दू गो हो सकेला. एक त कि तोहरा अगल बगल में का बा आ दोसरे ई कि तोहरा पाले का बा.

लगाइत एक से दोसरा का बीच के जुड़ाव भा संबंध बतावेला. लगले भा सटले अगल बगल के मौजूदगी बतावेला. लगुआ आ अगुआ के तुक मिलला का बावजूद लगुआ लगुआ होला आ अगुआ अगुआ. दुनू के एके तरजुई प ना तउलल जा सके. लगुआ जेकरा से लागल रहेलें ओकर मुँहलग्गुओ बन जालें. जबकि अगुआ अगुअई करेला, आगा बढ़के काम सम्हारेला. ओही अगुआ से जब लगुआ सट जालें त अगुआ अगुआ ना रहि जाव नेता बन जाला. लगुआ उनुका के अपना से आगा ना देखे द सँ आ तब नेता अन्हरा बाँटे रेवड़ी वाला अंदाज में घूम फिर अपने के देव वाला बन जाला.

अब एहिजे देख लीं कि लगे आ लगुआ के फेरा में लग्गी के बात छूटले जात रहल ह. लग्गी लगे से बनल शब्द ह काहे कि लग्गी दूर का चीझु का लगे ले चहुँपा देला आ तब रउरा पर रहि जाला कि लग्गी से फल तूड़ीं भा पानी पिआईं. अब बाचल लागल आ लगावल. काम में लागल आदमी काम का लगे होला, पढ़े में लागल पढ़ाई का नियरा होला. लागल के एगो माने लगातार होखत क्रियो होला, जाए लागल, करे लागल, खाए लागल वगैरह. आ जब दोसरा के कवनो काम में बझा दीहल जाव, कुछ अइसन क दीहल जाव कि कुछ लगातार होखे लागो त ओकरा के लगावल कहल जाला. आग भा झगड़ा लगावल अइसने काम ह. चलत चलत याद पड़ल कि जेकरा से कई पुश्त के झगड़ा होखे ओकरा के चुनाव लड़ा दीहल जाला. कुछ लोग हमरो के सलाह दिहले रहे. बाकिर हम इहे कहि के कगरिया गइनीं कि सगरे कुकुर काशी चलि जइहें त हँड़ियवा के चाटी ?

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(7)
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