– ओेमप्रकाश अमृतांशु

Deepawali14

शंख नाद गरजन सुनावऽ, मिलके जोर लगावऽ
आवऽ दियावा जरावऽ, भोजपुरी के भईया .

ओका-बोका तिन तड़ोका, घुघुआ के हई माना
तार काटो-तरकुल काटो, ढ़ेरन खेल-खजाना,
चुट्टा-चुट्टी, बुढ़िया कब्ड्डी, से नेहिया लगावऽ
आवऽ दियावा जरावऽ, भोजपुरी के भईया .

अद्भूत कला के रूप, कोहबर-पिड़ियां के लेखनवा,
मारि मूसर के मार बहिनी, कूटेली गोधनवा,
धरती के आँचरा पे आपन, चउका पुरावऽ .
आवऽ दियावा जरावऽ, भोजपुरी के भईया

हरदी मटकोड़, विआह-तिलक, समधी-समधिन के गारी,
ईमली घोटावस मामा, खांेस के पछूआ भारी,
लोक रंग में डूबल सोहर, फागुन- चइत कढ़ावऽ .
आवऽ दियावा जरावऽ, भोजपुरी के भईया .

हई खांटी भोजपुरिया, से ना केहु आंटल आंटी
वीर कुअँर, राजेन्दर, मंगल के हउए माटी
जय भिखारी, रघुवीर, महेन्दर, बालेेश्वर जयकारऽ .
आवऽ दियावा जरावऽ, भोजपुरी के भईया .

संस्कृति के सुनर बगिया, हूनर से बा भरल
तीज-जिउतिया, बहुरा, करमा-धरमा के परब
छठि माई के दउरावा, माथावा चढ़ावऽ
आवऽ दियावा जरावऽ , भोजपुरी के भईया .

हाथ बढ़ावऽ, जान लड़ावऽ, भाव से भाव मिलावऽ
भोजपुरी के झंड़ा , मंगल चान पे फहरावऽ
ऊचरि- ऊचरि बोेलेला कागा, नीनिया दूर भगावऽ
आवऽ दियावा जरावऽ भोजपुरी के भईया….­­­­

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By Editor

4 thoughts on “आवऽ दियावा जरावऽ भोजपुरी के भईया”

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