– मनोज भावुक
हजारो सपना सजा के मन में चलत रहेलें मनोज भावुक
गिरत रहेलें, उठत रहेलें, बढ़त रहेलें मनोज भावुक
एह जिंदगी के सफर में उनका तरह-तरह के मिलल तजुर्बा
ओमे से कुछ के ग़ज़ल बना के कहत रहेलें मनोज भावुक
ऊ जौन भोगलें, ऊ जौन देखलें, ना भोगे आगे के नस्ल ऊ सब
एही से आपन कथा-कहानी लिखत रहेलें मनोज भावुक
के भाई कहके बनल कसाई, के गोद लेके करेज कढ़लस
उठा के एल्बम चिन्हें के कोशिश करत रहेलें मनोज भावुक
बा दर्द एतना अधिक कि जाने कहां अँटावस एह छोट दिल में
एही से ओके गज़ल में अपना भरत रहेलें मनोज भावुक
ना जाने केकरा से गप करेलें ई बंद कमरा में बुदबुदा के
केहू ना बूझे, हिया के घड़कन सुनत रहेलें मनोज भावुक
दुआर-अंगना टहल -टहल के, गज़ल कहे के लकम बा लागल
कहेला घर भर कि कादो -कादो बकत रहेलें मनोज भावुक
एने जरत बाटे ‘रोम’, ओने महल में ‘नीरो’ सुनत बा बंसी
लगेला ओइसे गज़ल में अपना झुमत रहेलें मनोज भावुक
करेलें कोशिश गज़ल लिखे के मगर अभी ले लिखे ना आइल
बस आदतन ही कलम उठा के घिसत रहेलें मनोज
340 total views, 2 views today
wish you good luck and all the best for promoting bhojpuri culture.
बहुत सुंदर. मन के छू लेलस राउर गजल.
खिल गइल बा भाव के फुलवा, ‘भावुक’के फुलवारी में .
दना-दन चलेले लेखनी ,गजल के तैयारी में
धन्यवाद , मनोज भावुक जी
गीतकार
ओ.पी. अमृतांशु