– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में ॥
पियवा करवलस ना गवनवां, फगुनवा में ॥
सगरी सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा ।
हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा ।
नीक लागे न भवनवा, फगुनवा में ॥
पियवा …..
पियराइल सरसों, मटरियो गदराइल ।
फुलल पलास बा महुअवों अदराइल ।
बदले लागल नजर जमनवा, फगुनवा में ॥
पियवा ….
नाही सहाला अब भउजी क चिकोरी ।
रही रह रिगावे हमरा धई बरजोरी ।
बीख लागल सगरी कहनवा, फगुनवा में ॥
पियवा ……
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