एगो प्रेम प्रलाप

by | May 28, 2010 | 0 comments

– डॉ. कमल किशोर सिंह

तनि सुनी एगो बात, नाहीं झूठ, कहीं सांच.
रउआ बिना आपन जिनिगी पहाड़ लागेला.

काटे धावे घर, नीक लागे ना बाहर,
जगवा में सब कुछ बेकार लागेला.

रतिया के बतिया सुनाई का संघतिया,
दिनवो में हमरा अन्हार लागेला.

अइसन जिअरा उदास, लागे भूख ना पियास,
मउराइल मन ब्यथित, बेमार लागेला.

रउआ रहीं जब पास, हिय में हरस उल्लास,
सभ सरस सुखद संसार लागेला.

खेत बाग़ लहलहाला, घरबार जगमगाला,
मन हरदम हरियर हमार लागेला.

हमरा रउआ पे गुमान, हम चली सीना तान,
सब जिनगी के सपना साकार लागेला.


डा॰कमल के पहिले प्रकाशित रचना

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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