– डॉ० हरीन्द्र ‘हिमकर’

HarindraHimkar
मत पूछीं कथा जलम के
कुछ कथा गढ़े दीं हमके
ई बोलत चलल कबीरा
हीरदा से निकलल हीरा.

हे माई ! त जनि बोलऽ
ऊ दरद कहीं जनि खोलऽ
आँखिन का पानी से तू
अपना अँचरा के धो लऽ.

अपना छप्पर छान्ही में
गंगा जमुनी के पानी
रानी तू अपना मन के
राजा बा हमरो बानी.

तू बोले द हमरे के
भक खोले द हमरे के
हम खोलब दसो दुआरी
आवे दऽ हमरी बारी.

आदम-हौवा के बीया
बाँटत आइल बा दीया
सतरूपा के केऽ बाँटी ?
मन के केकरा में छाँटी ?

ई अजब खेल बा माई
जाने कहिया फरियाई
माटी-माटी बिलगाई
पानी-पानी फरिछाईं.

ताना-बाबा किछु अइसन
बा जाँति-पाॅति के बीनल
अँखियन पर सबका परदा
मुश्किल केहू के चिन्हल.

घर-घर में धरम-करम बा
दर-दर पर माथ नवेला
लेवे खातिर सुख सागर
दे देला एक अधेला.

कंकड़-कंकड़ में शंकर
कतना सुन्नर सोंचल बा
बाकी ए भाव बरह्म के
चिद्दी-चिद्दी नोंचल बा.

नीरू-बाबा के कथनी
दुनियाँ में बड़ा भरम बा
नित नेम-टेक टोटका में
साधक के गिनती कम बा.

नीरू बाबा के धुनकी
धुन-धुन तुनके तन-तन के
रूइन के ढेर लगा के
कह देला बा‌त धरम के.


डॉ० हरीन्द्र हिमकर
अध्यक्ष हिंदी विभाग
के० सी० टी० सी० कॉलेज, रक्सौल, पूर्वी चम्पारण, बिहार ८४५३०५
मोबाइल :- 09430906202
भोजपुरी एवं हिंदी भाषाओं में नियमित लिखत रहीले. एगो भोजपुरी खण्ड काव्य ‘रमबोला’ आ एगो बालगीत संग्रह ‘प्यारे-गीत हमारे गीत’ प्रकाशित हो चुकल बा.

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2 thoughts on “कबीर”
  1. कंकड़-कंकड़ में शंकर
    कतना सुन्नर सोंचल बा
    बाकी ए भाव बरह्म के
    चिद्दी-चिद्दी नोंचल बा.

    superb !!

कुछ त कहीं......

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