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गीत

by | Aug 21, 2010 | 3 comments

Ram Raksha Mishra Vimal

– रामरक्षा मिश्र विमल

जे रोअवला के खुशिया मनाई
केहू ओकरा के का समुझाई ?

लोर रोकले रोकाला ना कतहीं
कहीं पूड़ी आ पूआ छनाला
कहीं मरघट में बदलेले बगिया
कहीं पाटी में बोतल खोलाला
जे जहरिये में जिनिगी के पाई
केहू ओकरा के का समुझाई ?

नेह के कइसे सीढ़ी चढ़ी ऊ
जेकरा मन में बा नफरत के काई
जेकरा मन में बा जंगल समाइल
कइसे अदिमी के भाषा सिखाईं
सोचिके आवे मन में रोवाई
केहू ओकरा के का समुझाई ?

खून के देखि अँखिया लोराले
लोर से लोर जनमेला सभमें
आदमीयत के पीछे इहे बा
जहाँ करूना हजार बार जनमे
कइसे अदिमी के अदिमी बनाईं ?
केहू ओकरा के का समुझाई ?


अँजोरिया पर विमल जी के पुरान रचना

संपर्क ‐
मो. 91+9831649817 email : ramraksha.mishra@yahoo.com

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3 Comments

  1. Pathik BhojpurI

    माननीय विमल जी,
    प्रणाम|
    “जे रोअवला के खुशिया मनाई
    केहू ओकरा के का समुझाई ?” दिल के छू गइल|सरल भाषा में गंभीर बात ए कविता के जान बा|आतंकवादी भाई बहिन लोग के आ ओह लोगन के मदद करेवाला लोगन के भी ई बात जरूर समझे के चाहीं|
    राउर
    पथिक भोजपुरी

  2. रामरक्षा मिश्र विमल

    धन्यवाद भाई,
    हमरा कविता के प्रतिक्रिया में राउर कविता नीमन लागल.
    राउर
    रामरक्षा मिश्र विमल

  3. Parshuram verma

    बलिया के धरती पर उगले वीर जवान
    रात दिन काम करे इहवां के किसान
    देशवा खातिर दे देला सब जान
    कहे के त बलिया हउवे बागी
    एही रे धरतिया पर दाग नाही लागी
    मंगल पाण्डे, चित्तूपाण्डे
    हउवन देश के लाल
    रहले चन्द्रशेखर बलिया के शान

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