pub-4188398704664586

जिनगी बेकार लागेला

by | Apr 7, 2010 | 0 comments

– मनिर आलम

हमर जिनगी हमरे अजब लागेला.
आंख में लोर के सैलाब लागेला.
दुनिया में तोहरा जैसन कोई नइखे.
फूल जैसन चेहरा गुलाब लागेला.

का जरुरत बा तोहरा पर्दा के.
तोहार केश ही नकाब लागेला.
काहे तोरदु तोहार कसम के.
जबकि हर आंसू अजब लागेला.

का कदर बा हमर तोहरा लगे.
जखम गिनी त बेहिसाब लागेला.
अइसन बा रूप चेहरा पर तोहार.
देखे में सब कुछ अजब लागेला.

हम ना जननी कि तू अइसन होबू.
छुला पर पूरा सपना अन्जान लागेला.
ई हम का कैनी तोहके छोड़ के.
अब पूरा जिनगी बेकार लागेला.


मनिर आलम के पिछलका रचना


इनर्वामाल-हर्नाहिया ४ बारा – नेपाल
हालमे: दोहा-कतार
Email: manirlove@gmail.com

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll Up pub-4188398704664586