– नीमन सिंह
दिल में गुबार एतना बा कि
जहिया निकाल दी
एह दुनिया के
दानव के ना लागी पता
हो जइहें खाक
सब जल जाई.
रही ना आतंक
पता ना लागी
आतंकी के.
बस ,इंतजार बा
गगरिया भर जाव
कुपंथी के.
भगवानो अब उब गइल होइहें
देखत-देखत एह नौटंकी के .
अब, उनको से ना सहात होई
अत्याचार
एह कुमंती के.
सोचत होइहें (भगवान् )
करले बाबु
लगा ले जोर
..जेतना बा
काहे से
दिया बुझे के बेर
बड़ी अंजोर करेला .
पापो के गगरिया
भरे के पहीले
बड़ा हिलोर करेला .
अब
अंतिम समय बा
एह करिया रात के
भड़की तुरंते
शोला अइसन
कि
ना लागी पता
आतंक आ आतंकी के .
मत घबरा
नाटक ख़तम हो जाई
अब
परदा गिरहीं वाला बा ,
अब इ नौटंकी
हमरा से ना सहाई
.. ना सहाई …ना सहाई ….
saral aur prabhavshali kavita hai…….. jabardast writing………
रऊआ अच्छा लागल ,धन्यवाद अम्रितान्सू जी .
‘नीमन’
बहुत -बहुत नीमन लागल नीमन जी.
धन्यवाद