– ओ.पी. अमृतांशु
कईसे सहबू महँगिया के मार
करीमन बहू राम के भजऽ.
खरची ना जुटेला भोजनवा,
देलू पाँच गो रे बेटी के जनमवा,
आइल छठवा गरभवा कपार
करीमन बहू राम के भजऽ.
डहकेली छछनेली बेटिया,
बिलखत बाड़ी दिने-रतिया,
चढ़ल अदहन पे होखे रोजे मार
करीमन बहू राम के भजऽ
चुकल नाहि पछिला करजवा,
हियरा में जागल बा लालसवा,
कइलू पूत लागि छठ इतवार
करीमन बहु राम के भजऽ
खेलेलू करीमना के हाड़ से,
महँगी के तेज भइल धार से,
जिया धधकी ना रही पतवार
करीमन बहू राम के भजऽ.
ओमप्रकाश अमृतांशु युवा चित्रकार आ भोजपुरी गीतकार हऊवन. इनकर सृजित कलाकृतियन के देश में आयोजित होखे वाला अखिल भारतीय चित्र -प्रदर्शनियन में नई दिल्ली ,वराणसी, जोरहट , धनबाद, पटना,आरा आदि शहरन में देखावल जा चुकल बा. राज्य – स्तरीय चित्र प्रदर्शनी, आरा के आयोजन समिति के सदस्यो रहल बाड़े आ. दर्जनों नुक्कड़ चित्र –प्रदर्शनियों में भागीदारी आ एकरा अलावे देश के प्रतिष्ठित पत्र –पत्रिका में रेखांकन प्रकाशित हो चुकल बा.
इनकर लिखल गीत भोजपुरी गायिका देवी आ पूजा गौतम अपना स्वर से सजा चुकल बाड़ी. साथही मशहुर चित्रकार भुवनेस्वर भास्कर के बहुचर्चित परफार्म “परिणति ” के गीत- लेखनो में सहयोगी रहल बाड़े.
वाह, बहुत सामायिक रचना बा.
राउर महँगिया के मार आ आज के पियाज के भाव बड़ी दुखदाई बा।
भाई अमृतांशु जी,
बहुत नीमन रचना | बधाई |
-रामरक्षा मिश्र विमल
Kya likhat rahe ho! Bhei waah!!
बोहोत अचा गीत है ओ पि जी और पिक्चर और भी सुन्दर है. आपको मूवी के लिए गीत लिखने चाहिए बहोत चलेंगे
bahut achacha likha hai O.P.G
संपादक जी के साथ-साथ ‘महँगिया के मार’ पे अपनी प्रतिक्रिया
देने वाले सभी लोगों को ओ.पी . अमृतांशु के तरफ से धन्यवाद .
ओ.पी .अमृतांशु
हमारे समाज में बेटी के लिए
कोई पर्व -त्योहार नही होता,
लेकिन ‘पूत के लिए छठ
इतवार’जरुर होता है .
अच्छा लगा .
धन्यवाद अमृतांशु जी !
निधी कैरोस
Bauhat sundar ganna hai OPG.
का बात बा, ‘चढ़ल अदहन पे होखे रोज मार’ एह लाइन के जवाब नइखे.
‘महँगिया के मार’ में पुत्र की
आश में जनसँख्या को बढ़ाना
साफ -साफ झलक रहा है .
धन्यवाद
रंजीत कैरोस
Very nice song…nd nice painting..
very nice
Bahutey neek likhiya babua.
Bana Raha
kya baat hai O.P.Ji jawab nahi apka aur chitrakari mein sab chhalak raha hai apka feeling.
क्या बात हैं ओ.पी.जी