– ओमप्रकाश अमृतांशु
(माई के दिन प खास क के)
माई से बढ़के ना गुरू, भगवान ,
माई देवी, माई दुर्गा सबसे महान.
आँचरा के छईयां में दुधवा पिआइके,
मुखवा निहारेली तेलवा लगाइके,
कोरवा में सुखवा के होखेला बिहान.
माई देवी, माई दुर्गा सबसे महान.
लोरिया सुनावेली चँदा बोलाावेली,
नजरि उतारे खतिर मरिचा जरावेली,
रोअत औैलादवा के होली मुसुकान.
माई देवी, माई दुर्गा सबसे महान.
झिरी-झिरी नेहिया के बेनिया डोलावे,
माई के ममता करेजवा सहलावे,
घड़ी-घड़ी छिड़केली आपन पारान.
माई देवी, माई दुर्गा सबसे महान.
के बा जे माई के करजा उतारी,
महिमा बा जेकर धरतिया से भारी,
रोंवा-रोंवा नेवछावर पल-पल होखे बलिदान.
माई देवी, माई दुर्गा सबसे महान.
Dear Om Prakash jee,
प्रासंगिक,प्रभावकारी ,प्रसंशनीय.
बहुत निमन लागल .
राउर चित्रकारी कविता के वजन और सुन्दरता अउर बढ़ा दे तिया.
कमल किशोर सिंह
माई के नेह के कौनो ओर छोर नईखे ,इ त हई ममता के भंडार.
बहुत नीमन बा .बहुत खूब
बहुत नीक। माई के ममता अनमोल हखेला।