– शिवजी पाण्डेय “रसराज”
हाथ जोरि करतानी बिनति तहार, मईया शारदा.
सुनी लिहितू हमरी पुकार, मईया शारदा..
गरे कुंड हार शोभे, श्वेत रंग सारी,
नीर क्षीर जाँचे वाला हंस बा सवारी,
बीनवा बजाई के जगइतू संसार, मईया शारदा.
सुनी लिहितू हमरी पुकार, मईया शारदा..
अन्हरी रे अँखिया अछरिया देखवलू,
सूर के प्रसन्न होई ज्ञान तू करवलू,
शब्द अर्थ कविता के तूहहीं आधार, मईया शारदा.
सुनी लिहितू हमरी पुकार, मईया शारदा..
कालीदास मुरुख के चतुर बनवलु,
कविता के उँचका शिखर बईठवलू,
ज्ञानवा अथाह देली कइलू चमकदार, मईया शारदा.
सुनी लिहितू हमरी पुकार, मईया शारदा..
नया छंद सुरताल हियरा में भरी द,
आस “रसराज” के ए माई पूरा कर द,
दूर कर जगवा से मन के अन्हार, मईया शारदा.
सुनी लिहितू हमरी पुकार, मईया शारदा..
बहुत सुन्दर आ भावपूर्ण वंदना बा .