सासु कहे कुलबोरनी

by | Feb 14, 2015 | 0 comments

– डा॰ शत्रुघ्न पाण्डेय,

ShatrughnaPandey
बाबूजी के हम रहुईं आँखि के पुतरिया
राखसु करेजवा में मोर महतरिया
आवते ससुरवा अघोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.

हवे मतवाली ह कुलछनी मतहिया
सासुजी कहेली खेलवाड़ी ह भुतहिया
परल कपार बिया चोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.

गारिए के मुँहे भिनुसहरे जगावेली
उठि सुति हमरा के जहर पियावेली
बढ़नी बहारो घरफोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.

हाथ में उठाई लेली जरते लुआठी.
कहेली ककोचि देबी मुँहे खोरनाठी
खउरा लगाई इहे खोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.

ननदी गोतिन देखि मुँह बिजुकावे
ताकि ताकि हमरा के आँखि मटकावे
एगो में ई दू गो बिया जोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.

हमरा करमवा में इहे बा उठावना
सुखवा सपन भइले जबे अइनी गवना
कहेली ई मूड़ी के ममोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी.


रिटायर्ड प्रधानाचार्य,
तीखमपुर, बलिया.

मोबाइल – 9450553454

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll Up