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हे ! विद्या के भंडारिणी

by | Feb 16, 2013 | 4 comments

– ओमप्रकाश अमृतांशु

maa-saraswatiहम बच्चा दिल के सच्चा 
आईऽ गइलीं शरण में .

हे ! विद्या के भंडारिणी ,
द नव कृपा कृपालिनी ,
बुद्धि – सद्बुद्धि कर द हमरो ,
हे माँ ! वीणावादिनी .
तू दानी हे! वरदानी
आईऽ गइलीं शरण में .

हमहूँ  ज्ञानी बन पाईं,
निरबल से सबल हो जाईं,
बन जाईं विश्व विजेता ,
संकट में न घबराईं,
तन – मन के अर्पित कईलीं
आईऽ  गइलीं शरण में .


ओमप्रकाश अमृतांशु युवा चित्रकार आ भोजपुरी गीतकार हऊवन. इनकर सृजित कलाकृतियन के देश में आयोजित होखे वाला अखिल भारतीय चित्र -प्रदर्शनियन में नई दिल्ली ,वराणसी, जोरहट , धनबाद, पटना,आरा आदि शहरन में देखावल जा चुकल बा. राज्य – स्तरीय चित्र प्रदर्शनी, आरा के आयोजन समिति के सदस्यो रहल बाड़े आ. दर्जनों नुक्कड़ चित्र –प्रदर्शनियों में भागीदारी आ एकरा अलावे देश के प्रतिष्ठित पत्र –पत्रिका में रेखांकन प्रकाशित हो चुकल बा.

इनकर लिखल गीत भोजपुरी गायिका देवी आ पूजा गौतम अपना स्वर से सजा चुकल बाड़ी. साथही मशहुर चित्रकार भुवनेस्वर भास्कर के बहुचर्चित परफार्म “परिणति ” के गीत- लेखनो में सहयोगी रहल बाड़े.

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4 Comments

  1. kiran Pandit

    सुन्दर अतिसुन्दर वंदना .

  2. Bhola Prakash

    बहुत -बहुत नीमन लागल सरस्वती वंदना .

  3. omprakash amritanshu

    बहुत -बहुत धन्यवाद पाण्डेय जी .

  4. प्रभाकर पाण्डेय

    हमहूँ ज्ञानी बन पाईं,
    निरबल से सबल हो जाईं,
    बन जाईं विश्व विजेता ,
    संकट में न घबराईं,
    तन – मन के अर्पित कईलीं
    आईऽ गइलीं शरण में .

    माई भगवती के सादर नमन अउर अमृताशु भाई जी के सादर आभार..बहुते सुन्नर तरीका से माई के आराधना करे खातिर..उहाँ से कल्याण करे खातिर।। आभार।।

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