भउजी हो!
का बबुआ?
सोचतानी तोहरा ला एगो पुरस्कार के जोगाड़ करीं.
कइसन पुरस्कार? इनामो मिली का ?
पुरस्कार के नाम होखी “महान भउजी सम्मान” बाकिर अबहीं कवनो संस्था से सउदा नइखे बन पावत. आ इनाम त खैर का मिली हँ पइसा कम से कम लागो एही फेर में बानी.
अरे, त अइसनका सम्मान से का फायदा?
घरे ड्राइंग रूम मे सजा के रखीहऽ आ आवे जाए वाला सखी सहेलियन के देखइहऽ कि कइसे तोहरा के अतना महान संगठन करोड़ो अरबो भउजियन का बीच से एह सम्मान ला चुनलसि. बतइह कि एकरा खातिर दुनिया भर के देवरन का बीच सर्वे करवा के एह सम्मान के फैसला भइल.
तब त फेर उहो लाग जइहें सँ अइसन सम्मान बिटोरे ला.
अरे त इहे नू चाहेली सँ संगठन कि ओकनी के धंधा सालेसाल चलत रहो. सम्मान लेबे तोहरा के बोलवइहे अपना कार्यक्रम में. कुछ गाना गवा लीहें. कुछ ठुमका लगवा लीहें. आइल दर्शकन के मनोरंजनो हो जाई आ संगठन के धेलो खरचा ना करे के पड़ी. उलुटे कुछ आमदनीए हो जाई.
ए बबुआ त रउरे काहें ना एगो अखिल ब्रह्मांड देवर सम्मेलन बना लेत?
ई कवनो बड़हन काम ना होखी बाकिर बाद में मामिला अझुराए लागी. सगरी देवर चहीहें कि उनुके भउजाई के ई सम्मान दिहल जाव!
त देव लोग आपन आपन अखिल विश्च, अखिल भारत, अखिल बिहार, अखिल फलाँ अखिल चिलाँ नगर बना के. हमरा लहूरा देवर के संगठन त हमरे के नू सम्मानित करी.
ठीके कहत बाड़ू भउजी.
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भोजपुरी के दसा अउर दिसा देखि के हमरा एगो पुरनका डाइलाग में तनि बदलाव करे के मोन करता?? सहमति बा न???
हमरी लगे, गाड़ी बा, बंगला बा..अउर भी बहुत कुछ बा, तोहरी लगे का बा?? हमरी लगे पुरस्कार बा।।
भउजी हो?? का बाबू?? भोजपुरी के दसा अउर दिसा देखि के हमरा एगो पुरनका डाइलाग में तनि बदलाव करे के मोन करता?? तोहार सहमति बा न??? हँ ए हमार बाबू, बताईं।।
हमरी लगे, गाड़ी बा, बंगला बा..अउर भी बहुत कुछ बा, तोहरी लगे का बा?? हमरी लगे पुरस्कार बा।।
मुर्गी गइली बांसवारी में त बुझली कि वृंदावने ह .
भावुक जी, ई त मस्तकफरुल्ला हो गइल, माथ फाड़ के निकल गइल.
हा.. हा.. हा. . मजा आ गईल।
भउजी हो?? का बबुआ?? लाख रुपया के बेयवस्था करे के बा?
का होई जी? सम्मान खरीदे के बा?
त 1 लाख से का होई, कम से कम दु लाख चाहीं।
ना भउजी हमरा के त उ लवटलके, पुरनके चाहीं ए से 50 परसेंट डिस्काऊंट में मिली।।
(सम्मान पर मेगा सेल…सुरु बा..आईं, कुछ थमाई अउर अगर नया न मिले त पुरनके ले के जाईं।।) जय माई-भाखा।।
नीक लागल प्रभाकर जी,
एह भउजी के रउरे सम्हार ना लीँ हमार कुछ काम कम होखीत.
राउर,
ओम