अपना देश में पूरा सिस्टम बिछलहर पर बा

– जयंती पांडेय

अबहिए अबहीं महात्मा गांधी के पुण्य तिथि गुजरल ह. राजघाट पर बड़े बड़े नेता लोग ना जाने कवन कवन किरिया खाइल ह लोग. एही में से एगो बड़हन नेता से भेंट भइल. ऊ लोग के पार्टी गांधी बाबा के नांव पर एक हाली जुलूस निकलले रहे. हम उनका से सवचनी कि जब तहरे पार्टी के लोग गांधी के गोली मारल तब से ले के आजु ले नीति में ई परिवर्तन कइसे हो गइल? ऊ हमार मुंह देखे लगले, कइसन बुड़बक आदमी ह? जानत नइखे कि नेता लोग जबान से कब का बोली आ कब कवन काम करी एकर ठीक नइखे.

सांचो आजु काल्हु, जान जा ए रामचेला कि नेता लोगन के जबान बिछला जा तिया. अबहीं हाले के बात ह कि शिन्दे भाई के जबान बिछला गइल आ ऊ तड़ दे कहि देहले कि ‘संघी भाई लोग के इस्कूलन में आतंकवाद के शिक्षा दिहल जात बा।’ इहे नाही, अब देखऽ कि पाकिस्तान के गृहमंत्री साहेब कहले कि शाहरुख भाई के सुरक्षा देउ सरकार. अब ई बतावऽ कि जवना देश में आम आदमी के सुरक्षा के केहु देखवइया नइखे ओही देश के भीतरी सुरक्षा के मंत्री कहऽता कि दोसरा देस के एगो अभिनेता के सुरक्षा दीहल जाउ. इहे नाहीं अब त एगो आतंकी सरदारो शाहरुख खान के सुरक्षा के बात करऽता. कहल जाला नु कि ‘एगो के लुगवा न फटवा दोसरका के रोवे ला मरदवा.’ वइसे बिछलाला त गोड़ो लेकिन ऊ जब बिछलाला त लोग गिर परेला आ ओकरा बाद आंखि झुका के धुरा झारे ला आ एने ओने तिकवे ला कि केहु देखत त नइखे. लेकिन नेता के जब जबान बिछलाले त ऊआंखि उठा के बहस करेला. जान जा कि जिनगी में तीन गो चीज बिछलाला , पहिलका जीभ, दोसरका गोड़ आ तीसरका नजर. गोड़ बिछलाइल त बूझि जा कि आदमी लापरवाह रहे, जबान बिछलाइल त माने कि ओह पर भरोसा करे लायक नइखे आ जे आंखि बिछला गइल त जान जा कि आदमी बदचलन बा. ई देश के राजनीति के त कवनो चरित्र नइखे एही से बदचलनी के आरोपो वाला नेता बाहर में सद्चरित्रता के भाषण देला. भ्रष्टाचार में घेंट तक डूबलो नेता घूस ना लेवे के सबक सिखावेला.

लेकिन रामचेला ई जान ल कि नेता के जबान बिछलाले ना, ओकरा के ढकेल के बिछलावल जाला आ ढकेले वाला खुद उहे होला जेकर जबान होले. ई काम जहां वोट बैंक होला ओहिजा बेसी होला. अइसन बूझाला कि वोट बैंक के चौकठ पर केला के छिलका गिरल रहेला. ई जान जा कि जे केला के छिलका ना गिरल होखो त नेताजी अपना पाकिट में से निकाल के ओहिजा गिरा देले. अपना देश में केला के बड़ा महत्व बा. केला के पतई , चाहे ओकर धड़ , चाहे केला के घवद सबके अलग-अलग महत्व बा. एहिसे अपना देश में नेता लोग केला पाकिट में ले के घूमेला. फल खा लिहले आ छिलका गिरा दिहले. अगर कम्पीटीटर बा त ओकर गोड़ बिछलाई आ बोटर बा त ओकरा खातिर नेताजी के जबान बिछलाई. नेता लोग पूरा देश के केला के छिलका पर रखले बा. जब चाहे धकिया के पूरा सिस्टम के गिरा देवे. ठीक ओही तरह जइसे भैया जी उर्फ बाबू अजय सिंह जी ‘बलियाटिक’ कहेले कि कलकत्ता शहर कल पर बा आ ऊ कल के चाभी अंगरेजवन के लगे पहिले होत रहे (अब केकरा लगे बा ई मालूम नइखे) आ जब चाहत रहले सन चाभी अईंठ देत रहले सन आ शहर डूबे डूबे हो जात रहे.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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4 thoughts on “अपना देश में पूरा सिस्टम बिछलहर पर बा”
  1. bichhlahar ke lekh padhi ke achha lagal. lekh me neta logan ke jawan roop rauan dele badi u thike ba aju ke neta log ekdam aisahi badan. netawane ke chalte ta aju desh ke e dasa ho gayeel ba har jagahe loot mar machal ba ego balatkar kand par desh khadbada gayeel lekin okara se badahan badahan balatkar turante turante dhadadhade hokhe lagalan sa jaise bujhata ego balatakariyan ke fauj khada ho gayeel ba. Ham chahatani ki ego ehu par lekh raura likhiti ta logan ke man me thor bahut badalaw hoit. Baki pher kabahi
    Raur ego subh chahewala
    Kailash
    Ballia

  2. सम्माननीया मैडम,

    एगो संका बा, समाधान करे के कीरिपा करीं।

    “हम उनका से सवचनी कि जब तहरे पार्टी के लोग गांधी के गोली मारल तब से ले के आजु ले नीति में ई परिवर्तन कइसे हो गइल?”

    गाँधीजी के गोली मारे वाला कवने पारटी के रहनें….??? सादर अउर साथे-साथे सुन्नर लेख खातिर हारदिक धन्यवाद।।

  3. ‘बिछलहर . . . .’ के पढ़ के हमके एगो रचनाकार के लाइन इयाद आ गइल कि –
    ज़िन्दगी आश पर चलती है।
    राजनीति लाश पर चलती है।
    गुनाहों से भरी इनकी गाड़ी-
    हरदम बाइपास पर चलती है।।

  4. बहुत नीमन बिछलहर व्यंग बा .जयंती जी बड़ी निक लागल .

कुछ त कहीं......

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