कइसन कइसन शरम ए भईया

by | May 22, 2012 | 0 comments

– जयंती पांडेय

केहु के केहु पर पइसा बकाया रहेला त ऊ आंखि लुकवावे ला. केहु कवनो बात से लजाला त केहु कवनो बात से. एह में एगो होला राष्ट्रीय शर्म. इहो राष्ट्रीय शर्म तरह-तरह के होला. कबहीं मोदी जी के गुजरात में दंगा से हो जाला त कबहीं बाबरी मस्जिद ढहइला पर लोग कहेला कि ई भारी राष्ट्रीय शर्म ह. अब त भला होखो सुप्रीम कोर्ट के कि ऊ कहि देहलस कि ई सब एगो घटना ह आ शरम से जान छूटि गइल ना त कतना लोग मारे लाज मुंह लुकवावत फिरत रहे. अब केहु दंगा फसाद के ले के असहीं कहि देउ त फेर शरम के बात हो जाई. एहि में प्रधानमंत्री जी एगो राष्ट्रीय शर्म घरे बइठल गर में डालि लिहले. कहि दिहले कि अपना देस में अतना बड़हन तादाद में लइकन में कुपोषण बा ई त राष्ट्रीय शर्म के बात ह.

कहाला कि अपना देस में कुल्ही लइकन के आधा त कुपोषण के शिकार बाड़ सन. अब एहि में केहु ज्ञानी ध्यानी आदमी के कहल ह कि जे अपना देश में किसान जवन आत्म हत्या कर तारें सन उहो राष्ट्रीय शर्म के दर्जा में आवे के चाहीं. अब ऊ लोग के के बतावे कि जे एकरा के राष्ट्रीय शर्म कहल गइल त एकरा में से कवगो राष्ट्रीय शर्म के पचखा फूटि जाई. आदिवासी लोग के भूख से मुअल त सरकारी गोदामन में अनाज के सरल चाहे असहीं आउरो कई गो बात बा ओकरा राष्ट्रीय शर्म घोषित करे खातिर विपक्ष लागी चिल्लाये आ संसद में बहस ना होखे दी, जे अपने में एगो राष्ट्रीय शर्म ह.

राष्ट्रीय शर्म के घमासान देखि के सरकार के चाहीं कि जइसे पद्म पुरस्कारन खातिर एगो कटकरिया (क्राइटेरिया) बा ओसहीं राष्ट्रीय शर्मो के कटकरिया होखे के चाही. एहु खातिर एंट्री मंगावे के चाहीं. अण्णा दादा के मानीं त लोकपाल ना बनलो राष्ट्रीय शर्म के बात ह. अब ई लइकन के कुपोषणे के बात ल. ई तऽ प्रधानमंत्री जी खुदे उठा दिहले. अब ढोवत रहऽ. एह पर अब दनादन गोष्ठी होई सेमिनार होई आ सब केहु चकाचक माल उड़ाई. इहे पइसवा जे लइकन पर खरच क दिआइत त कुछऊ त कुपोषण मेटि जाइत. लेकिन ई केहु ना कहल कि देश के लाखन लइका गरीबी के चलते पांचवां कलास के बाद पढ़ नइखन सकत सन, इहो शरम के बात ह.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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