पत्नी आ धर्म पत्नी

by | Jan 25, 2015 | 0 comments

jayanti-pandey

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद अक्सर अपना मेहरारू के केहु से परिचय करइहें त कहिहें कि ई हमार पत्नी हईं. रामचेला एकदिन पूछ बइठले – हो बाबा! तू , भउजी के धरमपत्नी काहे ना कहेलऽ? सब लोग त अपना मेहरारू के धर्मपत्नी कहेला.

बाबा कहले – बाबू हो, आपन पत्नी पत्नी होले आ दोसरा के मेहरारू धर्मपत्नी. आ देखऽ हम त बड़ा नियम से एकदम शास्त्र में लिखला के मोताबिक बियाह कईनी आ एकदम कबो प्रेम विवाह के ना सोचनी. आ इहो जान ल कबो मेला-ठेला में लोग दोसर कवनो मेहरारू के संगे हमरा के देखे ला त अइसन आकबत बनल बा कि बेबतवले लोग बूझि जाला कि हमारा बहिन उहिन होई. हमार इमेज एकदम मोदी जी के सफाई अभियान नाहिन साफ बा. लोग इहो मान लेला कि जे कवनो गड़बड़ होईत त बाबा एह लेखा खुल्लम-खुल्ला ले के ना घूमते.

तबो राम चेला के संतोष ना भइल. ऊ पूछले कि, ओहसे का ? बाबा तू सभ्य आदमी नाहिन भउजी के धर्मपत्नी काहे ना कहेलऽ?’
बाब मचल गइले, कहले – हमरा कहे में कवनो आपत्ति नइखे. लेकिन ई बतावऽ कि रजमतिया के माई भा कवनो मेहरारू जब केहु से अपना पति के परिचय देले त काहे ना कहेले कि ई हमार धर्मपति हउअन? जब ऊ ना कह सकेली कि हम उनकर धर्मपति हईं त हम कइसे कहि सकेनी कि ऊ हमार धर्मपत्नी हई. जब हम धर्मपति ना हो सकीं त ऊ धर्मपत्नी कइसे हो सकेली. ई बात हम काली सिंह मास्टर से पूछनीं. ऊ सफा कहले कि हमरा मालूम नइखे कि धर्मपति नाम के कवनो शब्द होला. लेकिन तबो डिक्शनरी सवाच लेवे द. डिक्शनरी छान के हार गइले अइसन कवनो शब्द ना मिलल. धर्मपिता, धर्मभाई, धर्ममाता, धर्मबहिन , धर्मयुग , सहधर्मिणी आदि त बा लेकिन धर्मपति नइखे.

अतने ना रामचेला हमार बात सुन के तूं हंसऽ मत. हमार बात तहरा एह से विचित्र लागऽता कि तूं ई बात सुनले नइखऽ. लेकिन बूझ जा कि धर्मपत्नी कवनो शब्द ह का? कबहीं कवनो अधर्मपत्नी सुनले बाड़ऽ? जब केहु अधर्मपत्नी ना हो सके त धर्मपत्नी कइसे होई. जब सब धर्मपत्नी पत्निये हई त पत्नी काहे ना कहल जाउ.

अब रामचेला के बोली बंद.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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