भ्रष्ट लोगन के डिमांड

by | Jun 19, 2011 | 0 comments

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद आ रामचेला हरान बाड़े ई जान के कि उनहुं के नेताजी के एगो स्विस बैंक एकाउंट बा. ऊ त आजु काल्हु भ्रष्टाचार पर बयान सुन के हरान बाड़े. बयान अइसन गिरऽता जइसे नेतवन के ईमान, इनकर गिरऽता उनकर गिरऽता. इहाँ ले कि हाल में बाबा रामदेव गिरले इस्टेज पर से. चारू इयोर बयाने गिरऽता. केहू बतावऽता कि 7,87,98,79,873 के कालाधन त केहु कहऽता कि ओतने रुपिया के कालाधन स्विस बैंकन में जमा बा. रामचेला बाबा से हरान हो के पूछले कि बाबा एतना कालाधन केतना होई आ काहे लोग जमा करेला ?
अब अपना देश के लोग एतहत आंकड़अ कबहुं ना सोच सकेला. ओकरा त गेंहू चाउर के बोरा के रुप में गिनवाये के पड़ी कि अतना बोरा में कसा जाये लायक नोट चाहे रुपिया. केहु कहत बा कि भारत के भ्रष्टन के कुल जेतना रुपिया बा ओतना त दुनिया भरके नइखे. ई त बड़ाई के बात बा कि केतना आरत पा के आदमी भ्रष्ट होला आ ऊ केतना मेहनत से, चोरी चमारी क के, झूठ बोल के, आपन उहो लोक बिगाड़ के, आपन आकबत बान्हे धऽ के रुपिया कमावे ला आ ओकरा के असहीं फूंकि देव. इनकम टैक्स वालन के आ कई गो डिपाटन के नजर से बचा के स्विस बैंक में रुपिया ले आवेला लोग. आ ओकरा के उड़ा देव ? देखऽ भारत के लोग बिदेसियन अइसन नइखे कि कमइलस खइलस उड़इलस आ गुडबाई बोल दिहलस.

अपना देश के लोग संयमी ह. ईमानदार बने के बाप दादा से मिलल सीख भले ना माने लेकिन रुपिया हिसाब से खरचा करे के बात जरूर माने ला लोग. अब अपना गाँव में अइसहीं जीवन सत्याग्रही भइल जा ता. बिजली रहत नइखे. गैस मिलत नइखे. जरावन खतम हो गइल बा. मला गोरू हइये नइखन सँ कि गोईंठा होखो. महँगाई अतना बढ़ गइल बा कि साबुन तेल कीने में पसीना छूटि जात बा. अब एहमें पन्द्रह दिन पर आदमी कपड़ा धोये त असहीं सन्यासी टाइप लागे लागी. भूखे रहे के त अब लगभग हर गरीब के आदत हो गइल बा.

एही बीच नेताजी लउक गइले. रामचेला आ बाबा लस्टमानंद दउड़ के उनुका लगे चल गइले. नकस्कार के बाद बात चलल त रामचेला पूछि लिहले कि नेताजी ब्लैकमनी वालन के लिस्ट में अपनहूं के नाँव बा ? नेताजी मुस्किया के रहि गइले. कुछ कहले ना. चुप रहे के कई गो मतलब होला.

अब बाबा पूछले कि नेताजी अपना देस में अतना सुविधा बा त विदेशन में काहे रुपिया जामा करवावतारऽ ?

नेताजी कहलें, अरे भाई अबही इहाँ रुपिया अन्हरियावे के वर्ल्ड क्लास बन्दोबस्त नइखे. जहिया से हो जाई तहिया से रुपिया इहें रही. ई हमार डिमांड बा.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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