लीप इयर माने लीपापोती करे वाला साल

by | Mar 7, 2012 | 0 comments

– जयंती पांडेय

का हो राम चेला ई बरिस तऽ अंग्रेजी में लीप ईयर हऽ. लीप ईयर के अंग्रेजी में चाहे जवन माने होखे हमरा भोजपुरी में तऽ लीपले कहाई. मानें कि तीन साल जवन कलेंडर के गीने में गलती भईल ओकर चउथा बरिस के 60 वां दिने एक दिन बढ़ा के 365 के जगहा 366 दिन के साल बना दिहले. अब लईका जे इम्तहान में 366 दिन के साल लिखऽ सन तऽ कान के नीचे एगो धऽ दीहें गुरू जी. ई धोखाधड़ी खाली अंग्रेजीए में नईखे. विक्रम सम्वत में तऽ तीसरका साल पूरा एगो महीने जोड़ दिहल जाला. एकरा अधिक मास चाहे मलमास कहल जाला. हिंदू पंचांग के पांच गो अंग होला. तिथि वार, नक्षत्र , योग आ करण. हिंदू कलेंडर पूरा 30 दिन के होला. 15 दिन अंजोरिया आ 15 दिन के अन्हरिया. एही से सब त्योहार एगो निश्चित तारीख के आवेला. अंग्रेजी कलेंडर में कबहुओं होली दिवाली एके तारिख के ना आवे. विक्रम सम्वत बनावे वाला लोग पहिले चंद्रमा के हिसाब से चलल लेकिन जब ई देखल कि ई तऽ चांद मामा सूरज के हिसाब से घूमऽ तारे. बस चट दे तीन बरिस पर एक महिना बढ़ा दिहल लोग आ मामला फेर फिट हो गईल. माने चट दे गलती के लीप दिहल लोग. वइसहीं हिब्रू कलेंडर में 19 बरिस के बाद एक महीना जोड़ा जाला माने कि 19 बरिस के गलती के 20 वां बरिस में लीप पोत दिहल लोग. अब अपना देश में जनतंत्री लोग चार बरिस मनमानी , घोटाला आदि करेला लोग. 5 वां बरिस में लीप पोत देला. एही से लीप ईयर रास आवेला. केंद्र में देखऽ भा प्रांतन में, शासन-प्रशासन, खेल-शिक्षा, स्वास्थ्य अउर विकास सबही में लीपापोती के कोसिस जारी बा. आजु सब केहु मानेला कि भ्रष्टाचार बा लेकिन तबो चल रहल बा, रोकऽ तऽ पक्ष विपक्ष दूनो इयोर से आंदोलन चले लागे ला. आंदोलनकारी लोगो लीपापोती करेला आ शासको.

बाबा तूं तऽ हर बात के निंदा करे लऽ.

ना हो रामचेला, एकरा क निंदा मत बूझिहऽ. ई हौसला बढ़ावे के एगो हथियार हऽ.

हम तऽ ऊ संदीप के अभिनंदन करेब जे हॉकी में दनादन पांच गोल ठोक दिहलस. भले आंगन भर धूप न होखो, छप्पर के छेद से उम्मीद के रोशनी आवते बा. राजनीति के खेल में तऽ हर दिन लीपापोती होला. छ: मार्च के जब चुनाव के नतीजा आ जाई तऽ नया तरह के लीपापोती शुरू हो जाई. हार गइले तऽ ठीकरा अपना पाटियन के नेता लोग के मूड़ि पर फोर दीहें. जीत गइले तऽ अपना अपना मस्तक पर विजय के लिपाई-पुताई कऽ ली लोग. गठबंधन के नौबत आई तऽ चुनाव के दिन में एक दोसरा के बोलल कड़वा वचन के लीप दीहें. ई लीप ईयर में लिपाई-पुताई जारी रही.

लेकिन बाबा गांव के मेहरारू तऽ ई लीप ईयर में भी गोबरे से लीपीहें सन.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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