विश्वस्तरीय ट्रेन सफर के माजा खतम हो जाई

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– जयंती पांडेय

रेलगाड़ी आ रेलवे टीसनन के वर्ल्ड क्लास बनावे के चरचा जोर पर बा. मोदी जी दनादन विदेश जा रहल बाड़े आ उहां से फटाफट विचार ले के चल आव तारे. जब बाबा लस्टमानंद ई बात सुनले कि रेलवे टीसनन के हवाई अड्डा अइसन बनावल जाई त ऊ नरभसा गइले. कहले कि ‘विश्व स्तरीय रेल गाड़ी त हमरा पसंद नइखे. आज के रेलगाड़ी के सफर के आपने मजा बा. अब देखऽ जे लोग एसी डाब्बा में जाला ऊ चुपचाप बाहर तिकवत रहेला. जनरल डाब्बा के आपन मजा बा. सफर के समय, रामचेला जान जा कि एगो अभूतपूर्व आनंद होला. आज के हमनी के जवन रेल बिया ऊ त अनेकता के एगो उदाहरण ह. संस्कृति के दर्पण हवे. लालच, द्वेष, भाईचारा, जातिवाद, अवसरवाद, भ्रष्टाचार जइसन हमनी के सब गुण रेलन में मिल जाई. रेल सफर वास्तव में ‘सफर’ ह. एकर रोमांच त पलेटफारमे से ठीक ओसहीं मिल जाला जइसे नाहियो चहला पर मोबाइल पर कम्पनी सब के एस एम एस मिलेला. सुर्ती के थूक आ गुटका के पीक से बांच के आ सामान के बचा के पलेटफारम पर पहुंच गइलऽ त जान ल कि पहिला बाधा हेल गइलऽ. पलेटफारम पर कुली लोग के समान ढोये के दर साफ साफ लिखल रहेला, पर ओकरा आधार पर बतियइब राम चेला त अपने मुड़ि पर समान ढोये के परी.

हमार त राय रहे कि मूल्य सूची के सामने सितारा बना के नीचे लिख दियाइत कि एह पर विश्वास करे वाला लोग के थाना में लिखल ‘कर्त्तव्य परायणता, समर्पण और इमानदारी’ जइसन नारो पर विश्वास करे के परी. पलेटफारम पर यात्री लोग के टिकट के हैसियत के अनुसार वेटिंग रूम बनल रहेला जेह में कर्मचारी आ अव्यवस्था समान रूप से गंजाइल रहेला. जइसे हमनी के समाज में उच्च, मध्यम आ निम्न वर्ग में विभक्त बा ओसही रेल में ए सी, फर्स्ट क्लास, आ जनरल डब्बा होला. अगर केहु के मधुमेह चाहे ब्लड प्रेशर ना होखो तबे सेकेंड क्लास भा जनरल डब्बा में सफर सुरक्षित होई. अगर सफर के रोमांच के आनंद लेवे के बा त जनरल में सफर ज्यादा मजेदार होई. रेल में जनरल डब्बा अक्सर सबसे आगे रहेला चाहे सबसे पाछे.

जनरल डब्बा में अगर सीट से उठि के पेशाबखाना ले केहु पहुंच जाई त जान ल कि ऊ सफल आदमी ह. आ ओकरा पेशाब करे के जगहा मिल गइल त जान ल कि ओकर भाग निमन बा. अक्सर शौचालयो में सात आठ आदमी यात्र करत भेंटा जाला. भीड़ में ठसाठस भरल ट्रेन जब पलेटफारम पर आवेले त ओह समय उहां के सबसे खास आदमी चाहे कहि ल सबसे बड़हन वी आई पी होला टी सी. दरकार परला पर जब टी सी भेंटा जाउ त बूझि जाईं कि राउर भाग ठीक बा. हम रामचेला तहरा सुविधा के खातिर टी सी के जोहे के एगो फारमूला बतावत बानी. ई कि पलेटफारम पर जब पसिंजरन के गोल घेरा एक जगह से दोसरा जगह घूमत होखो त बूझि जा कि ओहिजे टी सी होई. सेकेंड क्लास आ जनरल क्लास के खूबी में दू गो चीज सदा शामिल रहेला, एगो त ओहमे के पंखा जे बे धक्का दिहले चले ना आ दोसर ओह में भूंजा आ चिनीयाबदाम बेचे वाला लोग. चिनिया बदाम मुंह में, खोइया डब्बा में. ई सेकेंड क्लास भा जनरल क्लास के खास खूबी ह. किताब में पढ़त होखी लोग पानी अमूल्य होला लेकिन एकर प्रमाण मिलेला जब पलेटफारम के कल में पानी ना आवे आ ठीक ओही के सामने 15 रुपिया बोतल पानी बिकाला. माने पानी के कीमत बूझऽ. ई सब के अलावा ट्रेन यात्रा के सबसे बड़हन खूबी ह देर से चलल आ देरी के कारण चेन खिंचाई. अब अइसन मोदी भइया इंटरनेशनल स्टेंडर के स्टेशन बनइहें त ओह में सुरक्षा खातिर मेटल डिटेक्टर से जरूरी बा स्टेशनन पर खइनी डिटेक्टर लगावे के.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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