– जयंती पांडेय
राम चेला बड़ा चिंता में बाबा लस्टमानंद के लगे अइले आ थहरा के बइठ गइले. बाबा पूछले कि उनका कवना बात के चिंता बा कि उनकर चेहरा उड़ल बा.
राम चेला कहले, का कहीं बाबा कांग्रेस त पहिलहीं घोटाला में डूबल रहे अब भाजपो ओही पांक में फसल लउकऽतिया.
बाबा कहले, बिलकुल ना. गुरुमूर्ति जी के सुनलऽ ना? ऊ बहुत बड़हन एकाउंटेंट हउवन आ सी ए हउवन. कहऽतारे कि एकदम खाता बही के जांच क लेहले बाड़े. कवनो गड़बड़ी नइखे. पाई पाई के हिसाब ठीक बा. गडकरी जी पर त बेकारे आरोप मढ़ऽता लोग. तूं तनिको मन छोट मत करऽ. आउर जे ऊ नोकर डराइवर वगैरह के अपना कम्पनी के डायरेक्टर बनाइये दिहले त एह में कवन खराब भइल? ई त संघ के आ दीनदयाल उपाध्याय के विचारधारा के मोताबिके बा.
एह से गरीब लोग के शक्ति मिली. एकर त बड़ाई करे के चाहीं इहवां लोग ओकर बुराई करऽता. नेता लोग अपना भाई भतीजा , दोस्त-महीम सबके पद बांटेला आ ऊ बेचारू त गरीबन के दिहले त नेता लोग के पेट दुखाये लागल. ऊ लोग एह से डेराता कि अब जनता जे उनकर ई काम के बड़ाई करी त ऊहो लोग के इहे करे के होई. त भाई भतीजा का खाई?
आजादी के बाद राजा- नवाब-जमीदार लोग कुल जगह-जमीन अपना कुकुर-बिलार के नावें करत रहे लोग त कवनो बात ना लेकिन जे गडकरी जी करे लगले त सब गड़बड़ हो गइल.
आउर जे झोपड़ी-चाल में कवनो कारखाना चाहे दू तीन कारखाना खुल गइल त का अन्याय हो गइल? ई का बात भइल कि झोपड़ी वाला लोग कारखाना ना खोल सके कि इन्वेस्ट ना कर सके कवनो नेता के कम्पनी में.
सरकार मार इन्वेस्टर लोग के पोल्हावऽत बा लेकिन जे चाल वाला लोग केहु नेता के कारखाना में पइसा लगावे लागल त हड़कम्प मच गइल. ई त अच्छा बात ह कि गुरूमूर्ति बाबू के ई सब ना लउकल. जब उनका ना लउकल त सरकार के काहे लउकत बा. लोग कहऽता कि दिल्ली के लगे एगो उपनगर में गडकरी जी के पता के कई गो पैन कार्ड पहुंच गइल. ओकरा चक्कर में पार्टी के कई करोड़ रुपया डूब गइल लेकिन गडकरी जी ना डूबले, ऊ बड़ा बड़हन चीज हउअन.
अब बाबा गुरुमूर्ति जी गडकरी जी के निर्दोष बता दिहले आ पार्टी के आ संघ के बचा लेहले. अगर इहे सब में धराइल रहते त केहु कुछ ना कहित. अरे हमनी के प्रचार के जमाना में अतिथि के बेखइले ना जाये देत रहनी सन. अब गुरुमूर्ति जी जांच करे ले त के खिआवे.
जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.
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