चार गो भतार ले के लड़े 'सतभतरी'

– अशोक मिश्र

काल्हु भिनुसहरे मुसद्दीलाल गली में खुलल पंसारी के दुकान का सोझा भेंटा गइलन. जाड़ो में ऊ पसीना-पसीना होखत रहले, उनुकर हालत देखि के हमरा ताज्जुब भइल. हम पूछनी, ‘अमां मियां! कवनो मैराथन दौड़ में शामिल हो के आवत बाड़ऽ का ? एह उमिर में एतना भागदौड़ नीमन ना होखे.’

हमार बाति सुनि के अपना सांस के काबू में ले आवत मुसद्दीलाल कहले, ‘चाय पत्ती खतम हो गइल रहुवे उहे लेबे आइल रहनी. आवऽ, घरे चलि के चाय पियल जाव.’ हमार हाथ पकड़ले ऊ घरे के राह लिहलन. घरे चहुपंला का बाद बातचीत कब लोकगायक बालेश्वर के गीतन पर आ गइल, पते ना चलल. मुसद्दीलाल अचानके पूछ लिहलन, ‘यार! बालेश्वर के एगो गीत के लाइन ह ‘चार गो भतार ले के लड़े सतभतरी.’ एकर मतलब का हऽ ? हम कई दिन से दिमाग खपावत बानी, बाकिर मतलब जे बा कि से धराते नइखे.’

मुसद्दीलाल के एह सवाल पर हम थथम गइनी. बात ईरान के होखत होखे आ केहु होनोलूलू का बारे में पूछ बइठे, त सामने वाला केहु के बोलती बंद हो जाई. थोड़ देर बाद हम समुझावे के कोशिश कइनी, ‘अगर एकर सीधा सादा राजनीतिक मतलब निकालल जाव त ई निकालल जाव, त ई बा कि सात पतियन (यूपीए, एनडीए, वाम मोर्चा, तीसरा मोर्चा…जइसन गठबन्हन) वाली सत्ता सुंदरी अपना सात गो मरद के ले के चुनाव मैदान में उतरल बिया. अब रउआ त ई मालूमे होई कि हमरा देश के सत्ता सुंदरी पिछला दसियन साल से एकभतरी (एक पार्टी के सरकार वाली) नइखे रहि गइल. हर चुनाव का बाद कुछ पार्टी गठबन्हन बना के सत्ता सुंदरी के भतार, स्वामी, बन जात बाड़े, बाकी दल ओकरा प्रेमी के तरह सत्तारूढ़ गठबन्हन के दलन पर अनेके आरोप लगाके संतोष कर लेले.’

मुसद्दीलाल अचकचात कहले, ‘का ? एकर मतलब इहे हवे ? हम त एकरा के गारी समुझत रहली.’

‘देखऽ मियां ! अगर तू ‘भतार’ शब्द से बिदकत बाड़ऽ, त जान ल कि ई शब्द संस्कृत के ‘भर्तार’ माने कि भरण-पोषण करे वाला (पति, स्वामी) से आइल बा. ई शब्द अपने में खराब ना हऽ, लेकिन एकर इस्तेमाल अगर गरियावे में कइल जाव, त जरूरे खराब बा. एहमें शब्द के का दोष ? अब अगर कवनो औरत से ई कहल जाव कि ओकर एगो पति बा, त ई औरत खातिर बढ़िया बाति होई. बाकिर ओकरा के सतभतरी कहल जाव (सात मरद वाली), त उ तय रूप से गारी होई. आजु देश के जवन हालात बा, ओहमें राजनीति खुदे गारी बनि गइल बा. जवना देश में लोकतंत्र के आड़ में गुंण्डा, बदमाश, भ्रष्टाचारी, बलात्कारी आ देश से गद्दारी करे वाला चुनाव जीत के सत्तासुख भोगत होखे, ओहिजा के जनता खातिर ई विडंबना कवनो गारी से कम बा का ? अब देखीं ना ! पांच राज्यन में चुनाव होखे वाला बा, सभे सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में जीते के उमेद में मरल जात बा. ऊ लोग हत्यार, बलात्कारी अउर भ्रष्टाचारियन के अपना साथे करे आ ओकरा के अपना पार्टी के टिकट दे के जितवावे में लागल बाड़े. एगो भ्रष्ट आ लुटेरी पार्टी के बदनाम मंत्री निकालल गइला का बाद दोसरा पार्टी में जाते दूध के धोआइल बन जात बा. एह दौर में कवनो सभ्य अउर ईमानदार मनई के नेता कह दी, ओ ओही तरह खिसिया जाई जइसे केहु के गरियवला पर.’

हमरा एह बाति से मुसद्दीलाल संतुष्ट हो गइलन आ हम चाय पी के अपना घरे चलि अइनी.


संपर्क सूत्र –
अशोक मिश्र,
द्वारा, श्रीमती शशि श्रीवास्तव,

५०७, ब्लक सी, सेक्टर ६
आगरा विकास प्राधिकरण कालोनी,
सिकन्दरा, आगरा

Ph. 09235612878
कतरब्योंत

Loading

2 thoughts on “चार गो भतार ले के लड़े 'सतभतरी'”
  1. बहुते बढ़िया लागल अशोक मिश्र जी .

कुछ त कहीं......

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll Up