नकली ट्रॉफी…अब रउरा एकर मजा किरकिरा मत करीं

by | Apr 5, 2011 | 0 comments

– अशोक मिश्र

पता ना केकर शेर ह कि ‘बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, चीरा तो कतरा-ए-खूं भी ना निकला.’ पिछला कई महीनन से वर्ल्ड कप भारत जीती, शाबाश धोनी के धुरंधर, देश के आन-बान-शान… अउर पता ना का-का. तू ही बाड़ऽ, तहरे अट्ठाइस साल पुरान इतिहास दोहरावे के बा. अइसन नारा सुनत सुनत कान पाक गइल रहे. अखबार से लेके टीवी चैनल ले सभे चिचियात रहे. अबकी के विश्व कप हमनी के बा, जीत के रहब जा. कवनो चैनल एकरा के महामुकाबला बतावत रहे त कवनो महायुद्ध. आ अब जब ई महामुकाबला जीत लिहनि जा त आईसीसी वालन के नालायकी देखीं कि नकली ट्राफी थमा दिहले सँ. हद हो गइल यार…’ अतना कहत मुसद्दी लाल के चेहरा खीसे करिया पड़ गइल.

हम उनका के समुझावत कहनी, ‘ट्रॉफी ट्रॉफी होले, असली भा नकली से कवनो फर्क नइखे पड़े के. अब का बताईं ? हमार बेटा बा टुन्नू. जब ऊ हवाई जहाज लेबे के जिद कर लेला त का हम ओकरा के असली हवा६ जहाज कीन के देनी ? ना नू ? हँ प्लास्टिक के कवनो खिलौना हवाई जहाज खरीदी लें आ पकड़ा दिहिलें. रउरो अपना लड़िकन के अइसहीं बहलावत-फुसलावत होखब त रउरो मालूमे होई कि ऊ कतना खुश हो जाला. नाचे लागेला. कबो दउड़ के अपना महतारी के देखाई त कबो अपना पड़ोस में रहे वाला दोस्त राजू के. खिलौना देखावत ऊ बरजबो करी, हँ पेंच मत घुमइहऽ… टूट जाई. ओकरा उमंग आ उत्साह के तुलना आज के एक अरब एकइस करोड़ भारतीयन से कर लीं. लगभग हमता बेटा टुन्नूवे जइसन हालत पूरा देश के बा. कतहीं सोनिया गांधी नाचत बाड़ी त कतहीं अमिताभ बच्चन. कतहीं युवराज खुशी से फफकत बाड़न त कतहीं सचिन के आंख लोराइल बा. आ कैप्टन कूल त एह खुशी में माथ मुड़वा लिहले. रउरा सोच नइखी सकत कि हमनी भारतीयन के खुशी के मारे का हाल बा. हमनी का विश्व कप विजेता बन गइल बानी…ई पूरा दुनिया देखलसि, आंख फाड़के देखलसि. अब रउरा एकर मजा किरकिरा मत करीं.’

‘बाकिर अगर असलिये ट्रॉफी दे देतन, त आईसीसी वालन के का बिगड़ जाईत?’ मुसद्दी लाल अबहियों बरसत रहले. उनकर खीसि के पारा उतरे के नामे ना लेत रहे.

हम समुझाव वाला लहजा में कहनी, ‘भइया बात ई बालो लड़िका जिद्द ध लिहले रहले सँ कि अबकी के वर्ल्डकप ट्रॉफी हमनिये का लेब जा. आईसीसी के मुखिया शरद पवार एह सवा अरब बचवन के फुसलावे खातिर एगो झुनझुना थमा दिहलें. अब रउरा कवनो चीज के जिद कर बईठब त केहू का करी. एहीसे हमनी के पूर्वज कहत रहले कि नीमन लड़िका जिद्द ना करे. अब जिद कइले बाड़ऽ त भुगतऽ.’

हमार बात सुनके मुसद्दी लाल तनी नरमइले. कहले, ‘यार.. हमरा त अब बुझाइल कि पकिस्तनिया सचिन के सात गो कैच काहे छोड़ दिहलन सँ भा श्रीलंका वाले मैच में बेसी रन काहे ना बनवले. जबकि एकरा से पहिले के मैचन में ऊ अपना विरोधियन के छठी के दूध इयाद करा दिहले रहलें.’

मुसद्दी लाल क बात अब कुछ रस देबे लागल रहे. हमरो ऊसकुस भइल कि आखिर ऊ कवन बाति बा जे मुसद्दी लाल समुझ गइलें आ हम अबहियों नइखी बूझत. उनुका के पुचकारत कहनी, ‘भाई साहब! का बात हऽ ? लागत बा कि रउरा कवनो भेद खोज लिहले बानी. हमनी के देश में जे केहू रहस्य पा लेला ऊ मोक्ष पा लेला. लागत बा कि रउरो बुधत्व मिल गइल.’

मुसद्दी लाल हमरा के घूरियात कहले, ‘हमरा बात क हलुका जन बनावऽ. अब त हमरा पक्का विश्वास हो गइल बा कि पाकिस्तान आ श्रीलंका के क्रिकेट टीम के ई बाति पहिले से मालूम रहुवे कि ट्रॉफी नकली ह. आ जब जान गइल रहले त नकली ट्रॉफी खातिर आपन जान काहे लड़वतें. एहीसे ऊ मैच अइसे खेले जइसे कवनो बुजुर्ग कवनो लड़िका से क्रिकेट खेले आ झूठ-मूठ हार जाव. अपना जीत पर लड़िका खुश हो जाला आ अपना जीत के अपना प्रतिभा आ खेल के जित मानत इतरात चले लागेला. अब रउरा तनी पाकिस्तान आ श्रीलंका के खिलाड़ियन के चेहरा याद करीं. ऊ हरला का बादो दुखी ना रहले सँ. ओकनी का चेहरा पर शायद एह बात के संतोष रहुवे कि नकली ट्रॉफी बेकार में ढो के अपना देश ले जाये का जहमत से बाच गइले.’ अतना कह के मुसद्दी लाल एक गिलास पानी पियले आ बइठ के आईसीसी वालन के कोसे का पुनीत काम में फेर से लाग गइलें. हम उनुका के कोसत छोड़ घरे लवटि अइनी.


लेखक अपना बारे में जवन बतावत बाड़े :

जब साहित्य समुझे लायक भइनी त व्यंग्य पढल नीमन लागे लागल. व्यंग्य पढ़त-पढ़त कब हमहू लिखे लगनी पते ना चलल. पिछला 21-22 बरीस से व्यंग्य लिख रहल बानी. कई गो छोट-बड़ पत्र-पत्रिकन में खूबे लिखनी. दैनिक स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण आ अमर उजाला जइसन प्रतिष्ठित अखबारनो में खूब लिखनी. कई गो पत्र-पत्रिकन में नौकरी कइला का बाद आठ साल दैनिक अमर उजाला के जालंधर संस्करण में काम कइनी आ लगभग चार महीना रांची में रहनी. लगभग एक साल दैनिक जागरण में काम कइला का बाद अब दैनिक कल्पतरु एक्सप्रेस (आगरा) में बानी. हमार एगो व्यंग्य संग्रह ‘हाय राम!…लोकतंत्र मर गया’ दिल्ली के भावना प्रकाशन से फरवरी 2009 में प्रकाशित भइल बा. आगरा में उम्मीदन के नया सूरज उगी एही उमेद का साथे संघर्ष में लागल बानी.

संपर्क सूत्र –
अशोक मिश्र,
द्वारा, श्रीमती शशि श्रीवास्तव,
५०७, ब्लक सी, सेक्टर ६
आगरा विकास प्राधिकरण कालोनी,
सिकन्दरा, आगरा

Ph. 09235612878
कतरब्योंत

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