भउजी हो !
का बबुआ ?
सुनलू ह ?
हँ, सुने में त आवत बा.
का ? बड़ा अगमजानी बने लागल बाड़ू. हम का कहल चाहत बानी ?
ए बबुआ, रउरा के हम तहिया से देखत बानी जब रउरा बिना जँघियो पहिरले कूदत रहीं. रउरा मन के बात हम ना जानब त के जानी ?
त का जनलू ह, बताइये द ?
इहे नू कि लालू मंत्री बने जा रहल बाड़न.
हँ हो भउजी. इहे कहल चाहत रहीं. बता सकेलू कि का हो गइल कि अचके में लालू के मंत्री बनावे के पड़ रहल बा ?
ए बबुआ, मंत्री मण्डल में हर तरह के लोग चाहीं आ सबले बेसी जरुरत ओह लोग के पड़ेला से सरकार से सरकावे के जानेला. अगर सरका ना पवलसि त सरकार में रहला के फायदा का ? ओ ओही लोग का साथे साथ कुछ उहो लोग सरका लेला जे सरकावे ना जाने. कई गो घोटालेबाज मंत्रियन का हटला से खाली भइल जगहियो त भरे के बा.
ठीक कहत बाड़ू भउजी. बाकिर देखीहऽ तोहरा चलते हम ना अझुरा जाईं.
ए बबुआ, करेजा मे दम ना होखो त बगइचा में डेरा ना डालल जाव !
ठीक बा भउजी, छौड़ऽ ई सब बाति. बाहर बूनी पड़त बा चलऽ पकौड़ी खिआवऽ.
बहुत बढ़िया – बहुत बढ़िया .
ओ.पी.अमृतांशु