एक दिन एगो फूल बेचे वाला आपन हजामत बनवावे सैलून गइल. हजामत का बाद पूछलसि, कतना पइसा ? हजाम जवाब दिहलसि, एको पइसा ना. एह हफ्ता हम समाजसेवा करत बानी. फूल वाला बहुत खुश भइल आ चल गइल.

अगिला दिने जब हजाम आपन सैलून खोले चहुँपल त देखलस कि एगो थैंक्यू कार्ड आ एक दर्जन ताजा गुलाब के फूल दरवाजा पर राखल बा.

ओह दिन एगो सिपाही हजामत बनवावे आइल. ओकरो उहे जवाब मिलल कि एह हफ्ता हजाम समाज सेवा करत बा. सिपहियो खुश होके लवटल आ अगिला दिने फेर हजाम का दरवाजा पर थैंक्यू कार्ड आ एक दर्जन ठेकुआ राखल रहुवे. हजाम फेर खुश भइल.

संजोग से ओह दिन भोला बाबू आ गइलें हजामत बनवावे. उनको मालूम भइल कि हजाम एह हफ्ता समाजसेवा करत बा आ काल्हु एह हफ्ता के आखिरी दिन बा.

अगिला दिने जब हजाम अपना दूकान पर चहुँपल त देखलसि कि भीड़ लागल बा. एक दर्जन नेता आपन हजामत बनवावे खातिर चहुँपल रहलन !

शिक्षा : गड़तर आ नेता हमेशा बदलत रहे के चाहीं


पत्रकार लोकनाथ तिवारी के इमेल से

Loading

One thought on “बाल कटाई”
  1. लोकनाथ तिवारी जी राउर चुटपुटिया बहुत नीक लागल . वाह ! साँच कहत बनी मजा आ गइल .
    ओ.पी .अमृतांशु

कुछ त कहीं......

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll Up