– जयंती पांडेय
छपरा में दुपहरिया के भोजन क के 23 गो लईका मर गइले सन एह बात से दुखी बाबा लस्टमानंद नेताजी से पूछले कि, हे सरकार, अइसन काहे हो ता? लइकन के जियरा त अंखड़ेरे चल गइल. लईका देश के भविष्य होले सन. नेताजी के रासा चढ़ गइल आ कहले ‘ऐ, बूढ़ा लईका लोग मर गया तऽ ई हमको भी लउकता है. अरे आतना त हुआ कि लईका सब खा के मरा आ उहो मिड डे मील खाया, इहां सुबह शाम भी खाना नसीब ना है. ऊ सबको दुपहरियो को खाना मिल गया ना त भुखाइले मू जाता तब का कहते? आ ई बात के जांच हो रहा है. जांच के रिपोर्ट आने पर सबको बता दिया जायेगा.’
नेताजी कुछ अइसे बोलले कि लस्टमानंद के बोली बंद हो गइल. लगले सोचे ई अंग्रेजी में नांव बा आ अपना देस में अंग्रेजी बोलला पर सबके इज्जत बढ़ जाला. वइसे मिड डे मिल के अपना गंवई भासा में कहल जाउ त ऊ खिचड़ी होला. आ खिचड़ी सांचो पौष्टिक खाना ह पर ऊ सरकारी खिचड़ी ना होखो तब. खिचड़ी त जेलो में आ राजनीति के खेलो में होला पर जेल में केहु मुए ना आ राजनीति के खिचड़ी से त आपन ई देस 60 बरिस से चल रहल बा. लस्टमानंद सोचे लगले जब सरकार ई स्कीम चालू कइले रहे कहल गइल रहे कि ई सरकार के मानवीय योजना ह. सांचो ई स्कीम त सरकार के मानवीय चेहरा के एक्सटेंशन ह आ भविष्य में जेकर लईका खिचड़ी वाला स्कूल में जइहें सन ओकरा खातिर टेंशन ह. बाबा लस्टमानंद कई हाली ऊ मिड डे मील देखले. सांचो ऊ खाए लायक ना रहे. ऊ नेता जी टोकले, सरकार खाना सांचों बड़ा घटिया रहे खाए लायक ना रहे. नेताजी कहले ‘लस्टमानंद तहार पेट भरा है बूझा आ जे तूं कह रहा है न ऊ भरा पेट का सांच है खाली पेट का सांच दोसरा होता है, तुम का समझेगा तुम देहाती भुच्चड़ है.’
लस्टमानंद कहले, हां नेताजी खाली पेट के त सांच होला आ ओकरा खातिर हर चीज खाए लायक होला. लेकिन ई आपने देस है जहां सांचो के जांच होला, सबूत जोहल जाला, रिपोर्ट बनेला. ई घटना के सबूतो बा. माई बाप रोअता, नेता लोग बहस करऽता. रोअल देख के दया आवऽता आ बहस सुन के घिन आवे ला. ओकरो से बड़हन घृणा के बात बा कि लईकन के खाना में से दस सेर में नौ सेर ई नेता आ बेईमान लोग चोरा ले जा ता आ वजन बनल रहो एही से खाना में अलाई बलाई मिला दे ता लोग. ऊ लोग त ई सोचेला कि भुखाइल लआकन के त जहर माहुर जवन दे द खा जइहें सन. अपना देश में बेइमानी बहुत बड़हन हकीकत ह आ जबले ई रही लईका असहीं मुइहें सन.
जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.
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