मोदी मौनी बाबा काहे बन गइले ?

by | Aug 9, 2014 | 1 comment

jayanti-pandey

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद से अचके में रामचेला पूछले, बाबा हो! ई आपन मोदी जी आजुकाल कुछ बोलत काहे नइखन ? बाबा कहले, अब तूं ही बतावऽ कि मोदी जी सरकार चलावस कि बकबकास. अरे सरकार चलावल कवनो बैलगाड़ी चलावल ना नु ह कि जबले बैलन के गरियावल ना जाई, ओकनी से आपन रिश्ता ना जोड़ल जाई तबले बैलगाड़ी ना चली. देश चलावल बड़हन काम ह.अब देश चलावे खातिर चुनाव जीते के परे ला आ चुनाव जीते खातिर जबान चलावे के होला. इहो जानल जरूरी बा कि सत्ता देह धाजा से ना भेंटाला, ओकरा खातिर जबान चलावल बेहद जरूरी बा. जे जबान ना चला सकी ऊ राज का चलाई. लेकिन हमरा अब जा के बुझाइल ह कि देश चलावे खातिर जुबान चलावल मना बा. नया नियम बनल बा रामचेला कि जब जुबान बंद हो गइल त जान ल कि राज चल रहल बा. जब जबान चले लागे त बूझि जइह कि अब राजनीति चलऽता. लेकिन ई जे बुड़बक जनता बा नू ऊ बूझते नइखे. ओकरा सरकार के बकबकात देखे के आदत पड़ गइल बा. ऊ ना लउके त दिमाग गड़बड़ाए लागेला. अब तहरा अइसन बुड़बक लोग जे चुनाव के समय मोदी जी के शेर कहत रहे ऊ लोग के कहल ह कि बकरी ना मेमियाये त ठीक बा लेकिन शेर ना गरजे त का बात भईल. लेकिन ई त मेमियातो नइखन.

रामचेला कहले, बाबा, अब लोग टी वी में रिचार्ज भरवा के चैनल बदल-बदल के देखऽता कि कतहुं त शेर गरजत लउके. कहीं कुर्ता के बांह चढ़ावत लउकस चाहे भौंह तनले लउकस. कागज फारत लउकस पर सभत्तर चुप्पी बा. जेकरा सबसे जियादा गरजत देखल गइल ऊ चुप बइठल बा. पुरनका मौनी बाबा अइसन. बुझाता कि कवनो गुप्त समझौता भइल बा. पुरनका मौनी बाबा जेकरा से मोदी जी सत्ता के चार्ज लिहले ऊ कवनो मंतर दे गइल बाड़े कि भइवा, सत्ता चलावे के बा त जबान मत चलइहे ! जहां जबान चलऽवलऽ कि उ सब लोगवा लागी गरजे जे चुप बा. अइसन चुप्पी साधऽ कि लोग बोले के पहिले सौ हाली सोचे.

बाबा कहले, देखऽ रामचेला, कवनो गद्दी पर बइठे खातिर भले जुबान चलावे के परो लेकिन ओह पर कायम रहे खातिर जबान बंद राखे के होई. एगो जोगी बाबा रहले. सांस चलावे के कला जनता के सिखावस आ भोरे उठा के सबके अनुलोम विलोम करावस आ जब तक ई सब करस तबले बकबकात रहस. अब जइसे लाभ के गद्दी भेंटाइल सब कुछ त्याग दिहले. अब कहऽतारे कि सब लोग सांस चलावे आ हम आपन धंधा चलावऽतानी. अब देखऽ शेयर बाजार में सटोरिया लोग जतने जबान चलावे ला ओतने बजार चलेला. जइसहीं बजार के चाल बंद भइल कि सबके जबान पर ताला लाग जाला. जान जा रामचेला, जब मोदी जी के जबान चलत रहे त एतना वादा क दिहले कि अब यादो नइखे पड़त. अब जबान बंद क के चुपचाप टाइम निकालल जा रहल बा. मालूम बा कि कुछ दिन के बाद लोगवा खुदे भूला जाई, ना त गफलत में परि जाई कि पहिले का मांगी. पहिले पियाज मांगीं कि टमाटर. जे गद्दी पर बइठल बा ऊ जानऽता कि लोग के चिल्लाये चाहे गरियाये के एगो सीमा होला. चिल्लात-चिल्लात लोग चुप हो जाई एकरा बाद देश के चरऽ भा खा, केहू बोले वाला नइखे.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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1 Comment

  1. jay

    जिम्मेदारी अईला पे आदमी के बोलती बंद होइये जाला. बहुत नीमन. धन्यवाद जयंती पांडेय ji

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