केन्द्र के केबिनेट त तिलाक का खिलाफ बने वाला तलाक के मंजूरी दे दिहलसि बाकिर ई कानून मुसलमाने प लागू होखे वाला बा. अपना के हिन्दू कहे बतावे वाला जनेऊधारी बरहमन लोग के दिहल तिलाक का खिलाफ एह कानून के इस्तेमाल ना हो पाई आ ई जान सुन के जनेऊधारी बरहमन के गोल के राहत मिल गइल बा. अबकी का गुजरात चुनाव में जवना तरह से मुस्लिम जमात के तिलाक द् दीहल गइल ओह तरह के अनेत कबो ना भइल रहुवे. गुजरात के गोथरा का बाद भड़कल बरीस 2002 का दंगा का बाद से अबहीं हाल ले ओह दंगा के चरचा करि करि के मुसलमान भोट बिटोरे वाली कांग्रेस अबकी अपना के जनेऊधारी बरहमन घोषित क दिहलसि आ गलतिओ से मुसलमानन के कवनो चरचा ना कइलसि. हमरा लागल बा कि एहू तरह के तिलाक का खिलाफ कवनो कानून होखे के चाहीं. आखिर अब मुसलमानी भोट बैंक के का होखी. ऊ अब केकर मुँह देखी. सेकुलर गोल अगर एह तरह से मुँह फेरे लागी त दीन ईमान कइसे बाची.
साथही इहो सोचे वाली बाति बा कि केहू अपना के एगो खास जाति के कइसे बता सकेला अगर ओकर बाप महतारी दोसरा जाति भा मजहब के हवे. बबुआ के जनेऊधारी बरहमन बतावे वाला लोग के एह बारे में बतावे के चाहीं कि दोसरा जाति धरम के बाप महतारी के जामल बबुआ के जाति कवना परम्परा से बदलल जा सकेला. मानत बानी कि अपना के हिन्दू कहे बतावे खातिर कवनो कर्मकाण्ड के जरुरत ना होखे. रउरा अपना के हिन्दू कहल बानी त रउआ हिन्दू हईं. बाकिर अपना के कवनो खास जाति के बतावल रउरा बस में नइखे. एकर फैसला सामाजिक परम्परे से तय कइल जा सकेला आ ऊ एकर इजाजत ने देव कि बबुआ के जनेऊधारी बरहमन बतावल जा सके. आ शायद एही चलते बबुआ के हाल ई हो गइल कि – ना खुदा ही मिला ना बिसाले सनम, ना इधर के रहे ना उधर के रहे.
गुजरात के चुनाव पर अतना जोरदार आ धारदार चरचा चलल कि सगरी दुनिया के धेयान एही प लागल बा. लोग के बतावे के पड़त बा कि हिमाचलो प्रदेश में भोट करावल गइल बा आ काल्हुए ओकरो फैसला आवे वाला बा. एह चुनाव में कांग्रेस के माथ अइसन चकराइल बा कि ओकरा बुझात नइखे कि कवन किनारा ध के चले. एक बेर ओकरा ईवीएम में धाँधली नजर आवल बा त तुरते इहो दावा कर देत बिया कि जीत ओकरे होखे वाला बा. भई लोग पहिले ई त तय क ल लोग कि ईवीएम से छेड़छाड़ होखे के अनेसा प जोर देबे के बा कि चुनाव जीते के दावा प. अलग बाति बा कि अब महज कुछ घंटा के मामला रहु गइल बा कि नाई नाई बाल कितने ? हुजूर तुरते गिन के बतावत बानी ! गुजरात आ हिमाचल में केहू जीतो एक बाति त तय बा कि सेकूलर गिरोह अबकी का चुनाव में मुसलमानन के खुदा भरोसे छोड़ दिहले बावे. अब बस दीदियो जइसन लोग के भरोसा रहि गइल बा. मोदी के डर अइसन घेर लिहले बावे कि तीन तिलाक जइसन मुद्दो प अबहीं ले सेकूलर गिरोहन के चिल्ल पों सामने नइखे आवत सभे चुप्पी सधले बा. एक सरह से ई खुशी के बाति होखे के चाहीं कि अब राजनीति जाति मजहब से ऊपर उठ गइल बा आ देश हित का बाति प राजनीति के चरचा होखे लागल बा. देश हित का खिलाफ चले वाला लोग देश का दुश्मनन से लुका छिपा के भेंट-घाट करत बा. आ – खैर खून खाँसी खुशी बैर प्रीति मधुपान, रहिमन दाबे ना दबे जाने सकल जहान – हो गइला का बाद ओकरा बुझात नइखे कि आपन चेहरा के दाग कइसे लुकावे.
आजु के बात एहिजे रोकत बानी. अगिला बेर देखल जाई कि बिना यज्ञोपवीत संस्कार करवले अपना के जनेऊधारी बरहमन बतावे वाला के चालबाजी काम आइल कि ना. अबहीं त उनुका ताजपोशी के जश्न मनावे में डूबल बाड़ें उनुकर पीडी सभ. फेर पता ना कब मौका मिले जश्न मनावे के.
(कोलकाता के हिन्दी दैनिक समज्ञा में पिछला अतवार 17 दिसम्बर का दिने अँजोर भइल.)
176 total views, 1 views today