कहल जाला कि बाते से आदमी पान खाला आ बाते से लातो खाला. एके बतिया केहू के मजाक लागेला आ केहू के आपन बेइज्जति. भोजपुरी में बहुते कहाउत बाड़ी सँ जवनन के आजु के सामाजिक हालात में दोहरावल ना जा सके. खास क के ऊ सब कहाउत जवना में समाज के दबाइल अंग निशाना पर होला. गरीब के जोरु भर गाँव के भउजाई अइसहीं बन जाले. जेकरे मन करे हँसी दिल्लगी क ली आ बेचारा गरीब मन मसोस के रहि जाई. बाकि बरियरकन पर बनल कहाउतन के अबहियों बेझिझक कहल जा सकेला. हिन्दू का खिलाफ जवन मन करे तवन बोल लीँ ओकरा के बोले का आजादी में शामिल करेवालन के कमी ना लउकी. बाकि एक बेर इस्लाम पर कुछ कह दिहनी त जान के लाला पड़ि जाई काहे कि इस्लाम के अमन के मजहब बतावल जाला. अलग बाति बा कि पूरा दुनिया जवना दहशतगर्दी से आक्रांत बा ओकरा पीछे एही मजहब के लोग अधिका मिल जाई. ओने इस्लाम माने वाला लोगो के परेशानी इहे बा कि एह दहशतगर्दी के शिकार सबले बेसी उहे लोग होला.

आतंकी हमला में जतना लोग मारल जाला ओहमें नाहियो त आधा से बेसी लोग इस्लामे के माने वाला होलें. जबरा मारबो करे आ रोवहूं ना देव ! बाकी लोग त रो गा के थिरा जाई बाकिर दहशतगर्दी के शिकार मुसलमान केकरा आगा रोवसु ? कलवार के बेटा भूखो तलमलाव त देखे वाला इहे कहीहें कि पी के तलमलात बा. कलवार जाति का रुप में ना पेशा का रुप में लीं सभे काहे कि देश से बीफ निर्यात करे वाला कंपनी के मालिक एगो बड़का वकील राजनेता के मेहरारु हई आ भाजपा के सरकार आ गइलो पर ई निर्यात घटल नइखे, बतावल जात बा कि डेढ़ा हो गइल बा. अलग बात बा कि ई बतिया बतावत घरी बड़ा चालाकी से युघिष्ठिर वाली युक्ति अपना लीहल जाला कि अश्वत्थामा हतो. आ एकरा आगा के बाति आजु के शंख मीडिया का आवाज में दबा दीहल जाला कि नरो वा कि कुञ्जरो वा. सही बा कि अश्वत्थामा त मरा गइल बाकिर ऊ एह नाम वाला हथिया रहुवे कि बड़हन योद्धा. बीफ एक्सपोर्टो के बाति बतियावत घरी बड़ा आराम से लुका लीहल जाला कि भइंसो के मांस के अंगरेजी में बीफे कहल जाला !

पहिले पत्रकारिता के पेशा बड़ा इज्जतवाला मानल जात रहुवे बाकिर आजु कुछ घिनावन लोगन का चलते एकरा के तरह तरह के नाम दिआए लागल बा. आ एह पेशा में रहेवाला लोग के हालत जौ का साथे घुन पिसाए वाला ना होके घुन के साथे जौ पिसाए वाला हो गइल बा. पीसे वाला त घुन के पीसल चाहत बाड़न बाकिर जौ के छाँटल नइखन चाहत. एके लग्गी से सभका के दुरदुरावल जा रहल बा. रउरा सेना के जवान के जान ले लीं, ओकरा के पत्थर मार मार के घवाहिल क दीं बाकिर ऊ कुछ मत करो. रउरा देश के बरबाद करे के बात करीं, एकरा के छिन बिछिन क देबे के बातु करीं त ठीक, बाकिर प्रशासन रउरा के रोके के कोशिश करो, रउरा प केस करो त नाजायज. सेना पुलिस के छर्रा से घवाहिल अनेरियन ला छोह देखावल जाई बाकिर सेना पुलिस के शहीदन के चरचो ना कइल जाई. एह तरह के मीडिया आ चैनल सभे रोजे देखत बा आ बरदाश्त क लेत बा. अगर एह राष्ट्रद्रोही हरकत ला सरकार एहनी का खिलाफ कुछ करे चलो त अभिव्यक्ति के आजादी का नाम पर छाती कूटे वालन के मेला लाग जाई. अइसहीं पहिले पंचो लोग के समाज में इज्जत रहल करत रहे बाकिर का आजुवो वइसने बा ? अब त कई बेर मन करेला कि हिन्दी वाला एह पंचन के अंगरेजी वाला पंचन से भेंट करा दीहल जाव. काहे कि एह पंचन के पंचइती खुल्लमखुल्ला एकतरफा हो गइल बा.

शाएद एही चलते कहल जाले कि विद्वान वकील कानून जानेला आ तेज वकील जज. रउरा जरुरत पड़ी त केकरा लगे जाएब ? विद्वनका का लगे आ कि तेजका का लगे ?

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By Editor

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