सम्हरिए बुढ़िया रे – बतंगड़ – 93

जबरा मारबो करे आ रोवहूं ना देव. एह देश में हिन्दू के हालत अइसन हो गइल बा कि ओकरा पर होखत अत्याचार भा ओकरा साथे होखत अन्याय का खिलाफ कतहीं कवनो सुनवाई नइखे. अउर त अउर अदालतो हाथ खड़ा कर देली सँ जब मामिला हिन्दुवन के अधिकार खातिर होखेला. आजादी का बाद देश में बनल इस्लामी संस्कृति माने वाला जवाहरलाल के सरकार अइसन इन्तजाम करा गइल कि हिन्दुवन के कवनो ठौर नइखे बाँचल. अउर त अउर देश के इतिहासो में हिन्दुवन के जगहा ना मिलल काहे कि बँवारा गिरोह के ई कबो मंजूर ना रहल कि भारत अपना संस्कृति आ गौरवपूर्ण अतीत के यादो कर सको आ इतिहास लेखन पर बँवारा गिरोह अइसन काबिज हो गइल कि आजु ले ओकरा के बदलल नइखे जा सकत.

मजहबी आधार पर देश के बँटवारा भइला का बावजूद बहुते मुसलमान एहिजे रहि गइलें आ आजु ले फरत फुलात बाड़ें. जबकि पाकिस्तान आ बांगलादेश में रुक गइल हिन्दू कहाँ बिला गइलें केहू ना बता सके. पाकिस्तान के बाति त छोड़िए दीं, हिन्दुस्तान के कश्मीरो से हिन्दूवन के मार भगावल गइल आ ऊ अपने देश में रिफ्यूजी बनि के जिए ला मजबूर हो गइलें. जे ओह लोग पर अत्याचार कइल ऊ त आतंकी हो गइलें आ ई कायर जमात अपना पर अत्याचार होखला का बावजूद मुकाबला ना कर सकल.

आजु देश के आठ गो राज्यन में हिन्दू अल्पसंख्यक रहि गइल बाड़ें. तकलीफ त एकर बा कि एकरा बावजूद उनुका के ओह राज्यन में अल्पसंख्यक नइखे मानल जात. सुप्रीम कोर्ट में गोहार लगावल लोग त ओहिजो एह लोग के गोहार खारिज हो गइल. जम्मू कश्मीर, पंजाब, लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, अउर मणिपुर में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुकल बाड़ें आ जल्दिए कुछ अउर राज्यन में होखे जा रहल बाड़ें. आ जहाँ जहाँ एह लोग के संख्या घटल बा भा घटत जात बा ओहिजा ओहिजा एह लोग के मजहबी अधिकारो के संरक्षा ना मिल पावे. कबो एह लोग के पूजा पर रोक लाग जाला त कतहीं लाश जरवला पर. हद देखे के बा त दिल्ली में देख सकीलें. सड़क का एह पार बसल हिन्दुवन के शिविर में बिजली कात दीहल गइल बा जबकि ओह पार बसल रोहिंगन का शिविर में हर तरह के सुविधा मौजूद बा. घुसपैठियन के हर तरह के दस्तावेज बहुते आराम से बन जाला आ ऊ देश के नागरिक बन जालें जबकि पाकिस्तान से जान बचा के भागल हिन्दुवन के एहिजा से लवटा दीहल जा रहल बा आ लवटला का बाद ओह लोग के जवन दुर्दशा होखत बा तवन बर्दाश्त का बाहर बा. बाकिर हिन्दुवन के अपने में अइसन लड़ा भिड़ा के राखल गइल बा कि ऊ कबो जाति का नाम पर, कबो भाषा का नाम पर, आ कबो पानी का नाम पर एक दोसरा के जान के दुश्मन बनि के अपने बरबादी के राह सुगम बनावत जालें. अगर जे कहीं अगिला बेर मोदी के सरकार ना बनल त हिन्दुवन का साथे जवन बीते वाला बा तवन सोचिए के मन काँप जात बा.

आ ईयाद आवे लागेला लड़िकाईं में सुनल घुघुवा मन्ना, उपजे धन्ना, सम्हरिए बुढ़िया रे तोर सगरी खेत खइलसि जंगली भईंसिया. बा केहू के चिन्ता ? नया भिति उठेला पुरान भिति ढहेला सोचि के तोस पवला के जरुरत नइखे काहे कि रउरा त ओह ढहत भिति का नीचे दबाए के बा.

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कुछ त कहीं......

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