घूर का घुरची में घुरचियाइल (बतकुच्चन – 193)

by | Jun 22, 2015 | 0 comments

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जय हो बाबा लस्टमानंद के! पिछला अतवार के घूर के चरचा में अइसन टीप दिहलन कि सोचल धरा गइल आ हम घूर का घुरची में घुरचिया के रह गइनी. सोचे लगनी त लागल कि आखिर हम बतकुच्चन में करेनी का, घुरबिनिया छोड़ के. बाकिर घूर आखिर कइसे अतना इज्जति पा लिहलसि कि कुछ गाँव के नामे घूर पर धरा गइल. कम से कम दू गो गाँव के नाम त हम जानते बानी – घूरघाट आ घुरापाली के.

शब्द बने का प्रक्रिया में आ ओकरा बादो बहुते आग-दाब से गुजरेला आ एह बीच ओकर रूप रंग कई बेर बदलि जाला. कहे वाला त कहेलन कि ‘काल काटा’ सुन के एगो फिरंगी के लागल कि ए जगह के नाम ह कालकाटा. जबकि सोझा बइठल आदमी अपना लकड़ी के गट्ठर का बारे में बतावत रहुवे कि काल्ह के काटल ह! उहे कालकाटा समय का साथ कोलकाता हो गइल. बाद में कलकत्ता आ फेरू सुधार के कोलकाता. घूरघाट आ घुरापाली गाँवो के नाम कुछ दोसर रहल होखी जवन बाद में गलत सही उच्चारण से गुजरत आजु घुरापाली आ घूरघाट बन के रहि गइल. आ जब घूर के टीपन देखे चलनी त बहुते गाँवन के नाँव अइसन अइसन मिले लागल कि जीभ टेढ़ हो जाई बोले में आ इहो हो सकेला कि सुने वाला जीभे खींच लेबे का फेर में लाग जाव. एगो गाँव ह छपिया बिसौली, अब एकर इतिहास कवना तरह से खोजल जाव?

नाँवे के चरचा पर एक बेर पहिलहुँ सुनवले रहीं एगो कहाउत, आजु फेर दोहरावे के जरूरत लागत बा. ‘महुआ बीनत लखमीनिया के देखनी, हर जोतत महिपाल. टिकठी चढ़ल अमर के देखनी, सबले नीमन ठठपाल’. केहू ठठपाल के नाँव पर ठिठौली कइले होखी त ऊ बतवले होखी कि लक्ष्मी नाम वाली के महुआ बीनत देख सकीलें आ महिपाल – दुनिया के राजा- के खेत जोते के मजूरी करत. अमर नाम वाला आदमी मरला का बाद टिकठी – अरथी- पर चढ़ल मिल सकेला. से नाम में का धइल बा, सबले नीमन ठठपाले नाम बा. रसगुल्ला के नाम कुछऊ धर दीं ओकर मिठास कम ना हो जाई.

खैर, बात के वापिस ले चलल जाव घूर आ टीपन पर. टीपन टिप्पणी के बिगड़ल रूप ह. जन्म कुंडली देख के ओकरा बारे में कइल गइल टिप्पणी के टीपन नाम धरा गइल. बोले सुने में सहज लागल आ टीपन बन गइल. वइसे टीप दबावो के कहल जाला, कागज पर दबा के लगावल अंगूठा कि निशानो टीप होला. आ टीप दिहल ओकरो के कहल जाला जब कवनो सामान दोसरा के नजर बचा के उड़ा लीहल जाव. एह टीप आ होटल रेस्टोरेंट में दिहल जाए वाला टिप के कवनो संबंध ना होखे बाकिर ओहु टिप के फायदा होला कि टिप मिलला के टीप से सेवा बढ़िया मिल जाला भा मिले के उमीद में सामने वाला बढ़िया सेवा कर देला. टीप टाप सूटेड बूटेड होखलो पर कहल जाला. जब टाप क्लास के पहिरावा सामने वाला पर अपना प्रभाव के दबाव छोड़े त ऊ एकदम टीप टाप होला. अब अचके मे टंच माल के याद आवत बा बाकिर एह क्षेपक के ना एहिजा जगहा बा ना जरूरत. फेर कबो.

हँ घूर भा घुर कूड़ा के ढेर के कहल जाला त अलावो के घूर कहल जाला. घूर तापल ओहिसे बनल. आ अक्सर अलाव में बहारल-बटोरल सामाने जरावल जाला आ उहो घूरे होला एह तरह से. घुरची रसरी के अईंठन के कहल जाला भा गाँठ के. अझूरा के रह गइल घुरचियाइल होला त दोसरा के अझूरा के राख देबे वाला के घुरचियाह कहल जाला. जहाँ ले घुरबिनिया के सवाल बा त एकर मतलब होला घूर में से काम के चीझू बीने वाला के आ एह कामो के घुरबिनिया कहल जाला. एह तरह से बतकुच्चन कइलो घुरबिनिया कहल जा सकेला आ देख लीं आजु एगो घूर पर से कतना काम के बात खोज निकालल गइल.

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