अबकी के चुनाव एकहत्तर जइसन होखे वाला बा जब इन्दिरा कांगेस के टिकट प खड़ा बिजली के खंभा ले जीत गइल रहले. बाकिर सोचे वाली बात होखी कि का भाजपा का लगे अइसन बेंबत बा जे उ अपना उमीदवारन के देश के हर राज्य से जीता ले जाव?
ई एगो बड़हन सवाल बा आ बेर बेर भाजपा विरोधी एही बात के उछाले में लागल बाड़े कि देश के कुछेक राज्य छोड़ के भाजपा के कतहीं कवनो अस्तित्व नइखे. हालांकि कांग्रेस के हाल एहु ले खराब बा बाकिर ओकरा से केहु ई सवाल नइखे करत. एक त एह चलते कि सभे मान के चलत बा कि अबकी कांग्रेस के सूपड़ा साफ होखे वाला बा आ दोसरे एह ला कि कुछ बुद्धुजीवियन (गलती से नइखीं लिखले) के ई शगल हो गइल बा कि हर बात में भाजपा आ हिंन्दुवन के छोट देखावे के बा.
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कइला का बाद भाजपा के योजना बा कि चुनाव के अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव जइसन बना दीहल जाव जहाँ उमीदवारे सब कुछ हो जाला. जान के भा अनजाने कांग्रेसो एह चाल में फँसत गइल बिया. अधिकतर कांग्रेसियन के मानसिकता ओह गुलाम जइसन हो गइल बा जे अपना मालिक मलिकार छोड़ दोसरा के चिन्हबे ना करसु. उनुका ला सब कुछ नेहरू परिवारे होला. नेहरू ना त इन्दिरा, इन्दिरा ना त राजीव, राजीव ना त सोनिया, सोनिया ना त राहुल, राहुल ना त प्रियंका, प्रियंका ना त उनकर बेटा. कांग्रेसियन के आवे वाला पीढ़ी ले निश्चिंत बा कि ओकर नेतृत्व करे वाला कवनो ना कवनो जनमत रहीहें नेहरू का परिवार में. कांग्रेसियन के एह अन्धभक्ति के एगो बड़का कारण इहो ह कि उ कवनो दोसरा कांग्रेसी के नेता मानल बनावल आपन हेठी समुझेले. खैर, अगिला चुनाव मोदी बनाम राहुल होत जात बा. एह बीच कुछ पोसुआ मीडियावालन के कोशिश इहो बा कि कवनो ना कवनो तरह से आ आपा पार्टी के एगो मजगर चुनौती बनावल देखावल जाव. जवन आदमी अपना बेटा के किरिया खा के पलटि मार दिहलसि ओकरा प विश्वास करे के कहत बा लोग. अलग बात बा कि देश के जनता अतना बुड़बक ना हवे जे अपना सही गलत के फैसला ना कर सके.
त भाजपा के कोशिश करे के पड़ी कि ओह राज्यन में जहाँ भाजपा के मजगर मौजूदगी नइखे ओहिजा चुनाव मोदी का नाम प लड़ल जाव. संजोग से हमनी किहाँ के वोटिंग के तरीका चुनाव चिन्ह के महत्ता बेसी देला बनिस्बत चुनाव लड़े वाला के नाम के. से आराम से एह चुनाव के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव जइसन बनावल जा सकेला जहाँ लड़ाई गदहा आ हाथी का बीचे होला. कबो गदहा जीतेला कबो हाथी. वइसे ओहजो तिसरका मोर्चा वाला जइसन पार्टियन के कमी नइखे. अलग बाति बा कि मतदाता ओह पार्टियन के कवनो भाव ना देसु. त एहिजो के लड़ाई पंजा आ कमल का बीच बना देबे के बा. हर जगहा के चुनाव पोस्टर पर नाम आ फोटो में नरेन्द्र मोदी के प्रमुखता दीहल जाव आ असली उमीदवार के नाम छोट साइज में दिहल जाव. एहसे मतदाता का सोझा चुने के आसानी होखी.
साथही अबकी मतदाता लोगो के सोच समुझ के वोट करे के चाहीं. वोट देबे से पहिले जरूर सोचीं कि का रउरा जेकारा के वोट देत बानी उ देश में स्थिर सरकार दे पाई? का ओकरा में सौ सीट जीते के कूवत बा? याद राखब कि वोट रउरा राज्य ला नइखे होखत देश ला होखत बा, आ अबकी वोट फॉर इण्डिया देबे के बा. देश ला वोट करे के बा कवनो दोसरा ला ना. जात पाँत, भाषा, मजहब सभ भुला के देश ला वोट करे के बा. देश जीती त सभे जीती, देश हार गइल त सभे हारी. त हारे ला ना जीते ला वोट करीं. अब ई रउरा प बा कि केकरा के वोट देत बानी. पंजा के कि कमल के. वइसे देश में अतना पाँक हो गइल बा कि कमल खिलावल जरूरी लागत बा.