भोजपुरी के सौभाग्य आ दुर्भाग्य
भोजपुरी के सौभाग्य बा कि एम्मे एक से एक महात्मा संत, प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ, विद्वान, हुनरमन्द कलाकार, वैज्ञानिक आ समाज सेवियन क लमहर कतार बा. विशाल भू-भाग, नदी-पहाड़ आ कृषि संपदा…
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भोजपुरी के सौभाग्य बा कि एम्मे एक से एक महात्मा संत, प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ, विद्वान, हुनरमन्द कलाकार, वैज्ञानिक आ समाज सेवियन क लमहर कतार बा. विशाल भू-भाग, नदी-पहाड़ आ कृषि संपदा…
“भोजपुरी दिशाबोध के वैचारिक साहित्यिक पत्रिका “पाती” एगो अइसन रचनात्मक मंच ह जवन भोजपुरी भाषा साहित्य के एगो नया पहिचान दिहलसि. एकरा रचनात्मक आंदोलन से जुड़ के अनेके लेखक राष्ट्रीय…
(पाती के नयका अंक, दिसंबर २०१२, के संपादकीय) (भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के भोजपुरी प्रकाशनन में एगो खास जगहा बा. अँजोरिया के एह बात के खुशी बा कि…
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल अपना प्रिय अंदाज, मिसिरी के मिठास आ पुरुषार्थ के दमगर आवाज का कारन भोजपुरी शुरुए से आकर्षण के केंद्र में रहल बिया. भाषा निर्भर करेले…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 23वी प्रस्तुति) – रिपुसूदन श्रीवास्तव जिन्दगी हऽ कि रूई के बादर हवे, एगो ओढ़े बिछावे के चादर हवे. जवना घर में…
जिये-जियावे क सहूर सिखावत अमानुस के मानुस-मूल्य देबे वाली ‘गंगा-तरंगिनी’ ‘गंगा-तरंगिनी’ (काव्य-कथा) अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर. मूल्य – पचास रुपये. प्रथम संस्करण. कवि – रविकेश मिश्र (पाती के अंक 62-63 (जनवरी…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 21वी प्रस्तुति) – सुशील कुमार तिवारी जइसन कि धर्म ग्रंथन में कहल गइल बा ‘धरेतिसः धर्मः’। माने कि देश अउर काल…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 20वी प्रस्तुति) – कमलेश राय एक अंग-अंग मिसिरी में बोर गइल फागुन रस घेर गइल! पतझर के पीरा के हियरा से…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 19वी प्रस्तुति) – अनन्त प्रसाद ‘रामभरोसे’ भोजपुरिहा कतनो परेशानी में रहिहन, मोका पावते केहू से हँसी-मजाक करे से बाज ना अइहन.…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 18वी प्रस्तुति) – विनोद द्विवेदी (एक) रोगी ले ढेर बैद मुहल्ला में रिंकू सिंह के बोखार लागल त पड़ोस के कई…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 17वी प्रस्तुति) – गदाधर सिंह हम ओह राति में अधनिनियाँ में रहीं. अचके में हमार खटिया हिलल, खट-पट भइल आ हमार…