चंद्रेश्वर के पाँच गो कविता
– चंद्रेश्वर 1) बैनीआहपीनाला प्यार के रंग कइसन होला ? का खूब गाढ़ लाल ओढ़हुल के फूल नियर ? का खूब गाढ़ पीयर सरसों के फूल नियर ? का खूब…
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– चंद्रेश्वर 1) बैनीआहपीनाला प्यार के रंग कइसन होला ? का खूब गाढ़ लाल ओढ़हुल के फूल नियर ? का खूब गाढ़ पीयर सरसों के फूल नियर ? का खूब…
– नीरज सिंह 1) माफीनामा बहुत दिन के बाद अइला प कतना बुझल बूझल लागत बा कहिए से बंद हमार गांव वाला घर ! लागऽता जइसे कवनो बच्चा होखे अपना…
जन्म: 01 जुलाई 1936, बलिया जिला के बलिहार गाँव में। श्रीमती बबुना देवी आ श्री घनश्याम मिश्र क एकलौता पुत्र । शिक्षा: प्राथमिक शिक्षा गाँव में, माध्यमिक गोरखपुर में आ…
– प्रमोद कुमार तिवारी भोजपुरिया माटी में कुछ त अइसन बा, जवना से एह इलाका के साहित्यकारन में ललित भाव के रस छलके लागेला, कुछ तऽ अइसन बा कि जे…
– कृष्ण कुमार चंपारन सत्याग्रह से जुड़ल कई गो कहानी अइसनो बाड़ी सन, जवन साइत इतिहास के पन्ना में जल्दी ना मिलें स बाकिर ओह कहानियन के, ओह इलाका क…
– डॉ प्रकाश उदय भइया हो, (पाती के संपादक) जतने मयगर तूँ भाई, संपादक तूँ ओतने कसाई। लिखे खातिर तहरा दिकदिकवला के मारे असकत से हमार मुहब्बत बेर-बेर बीचे में…
– डॉ अशोक द्विवेदी हम भोजपुरी धरती क सन्तान, ओकरे धूरि-माटी, हवा-बतास में अँखफोर भइनी। हमार बचपन आ किशोर वय ओकरे सानी-पानी आ सरेहि में गुजरल । भोजपुरी बोली-बानी से…
– रामदेव शुक्ल ‘अकाट गरीबी में जाँगर फटकत जनम बिता देबू कि तनिएसा मन बदलि के अमीर हो जइबू? सोचि समुझि ल, अपने मालिक से बतिया लऽ, हमके बिहने बता…
– डा. अशोक द्विवेदी गँवई लोक में पलल-बढ़ल मनई, अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय-संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के स्वर का नेह-नाता आ हिरऊ -भाव…