नानी का अँचरा में लुका गइल बबुआ – बतंगड़ 76

– ओ. पी. सिंह लईकाईं में सुनल एगो कविता दोहरावल आजु प्रासंगिक लागऽता – नानी कीहाँ जाएब, पुअवा पकाएब, नानी कही बतिया रे, आइल हमार नतिया रे. फगुआ से ठीक…

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