उन्हुकर उदासी
– भगवती प्रसाद द्विवेदी हमार नाँव सुनिके बड़ा ललक से आइल रहले ऊ मिले बाकिर भेंटात कहीं कि हो गइले उदास. शहर के हमरा खँड़हरनुमा खपड़पोश घर में नजर ना…
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– भगवती प्रसाद द्विवेदी हमार नाँव सुनिके बड़ा ललक से आइल रहले ऊ मिले बाकिर भेंटात कहीं कि हो गइले उदास. शहर के हमरा खँड़हरनुमा खपड़पोश घर में नजर ना…
– शैलेश मिश्र अगर हम सानिया मिर्ज़ा बानी त देसी ना, हमके विदेशी चाहीं … अरब के संख्या में हिन्दुस्तानी, बियाह करेके पाकिस्तानी चाहीं. अगर हम सोनिया गाँधी बानी त…
– डा॰अशोक द्विवेदी हम तोहके कइसे लिखीं? कइसे लिखीं कि बहुते खुश बानी इहाँ हम होके बिलग तोहन लोग से… हर घड़ी छेदत-बीन्हत रहेला इहवों हमके गाँव इयाद परावत रहेला…
– अभय कृष्ण त्रिपाठी पापी हो गइल मनवा कइसे करीं राम भजनवा, प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा.. आइल बानी द्वार तिहारे, मन ही मन में रजनी पुकारे, पुलकित होवे…