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August'06

भोजपुरी हलचल

Bhawuk sitting with Gulzar and Girija Devi

Manoj Bhawuk with Gulzar and Girija Devi at the dias

मनोज भावुक के भारतीय भाषा परिषद द्वारा सम्मानित कइल गइल

१५ सितम्बर के कोलकाता के संस्था भारतीय भाषा परिषद भोजपुरी के युवा कवि मनोज भावुक के उनकर भोजपुरी ग़ज़ल संग्रह "तस्वीर जिन्दगी के" खातिर भारतीय भाषा परिषद सम्मान से सम्मानित कइलस.

पहिलका हालि कवनो भोजपुरी साहित्य के एह तरे के कवनो सम्मान मिलल बा.मनोज भावुक के ई सम्मान नामी गीतकार गुलजार आ ठुमरी महादेवी गिरिजा देवी के हाथे दिहल गइल.

इनका साथ साथ ऐह इस कार्यक्रम में वर्ष 2005 के पुरस्कार पाये वाला युवा साहित्यकारन के भी सम्मानित कइल गइल.इ लोग रहुवे- थौड़म नेत्रजीत सिंह (मणिपुरी) और हुलगोल नागपति (कन्नड़).

वर्ष 2006 में भोजपुरी मनोज भावुक के अलावा हिंदी के लिए यतींद्र मिश्र आ उर्दू के शाहिद अख़्तर के भी सम्मानित कइल गइल.

मनोज भावुक के रचनन का बारे में टिप्पणी करत भारतीय भाषा परिषद के मंत्री डॉक्टर कुसुम खेमानी कहली - "मनोज भावुक सुदूर युगांडा और अब लंदन में रहते हुए भोजपुरी में लिख रहे हैं. उनकी कविताएँ पौधे की तरह लोक जीवन की धरती पर पनपीं हैं और अपना जीवन रस वहीं से प्राप्त कर रही हैं."

डॉक्टर खेमानी मनोज भावुक के रचनन के जम के तारीफ़ कइली आ कहली कि युवा कवि सामाजिक सरोकारन के भोजपुरी के ठेठ मुहावरा में मुखरित कइले बाड़न आ भारतीय भाषा परिषद मनोज भावुक के सम्मानित करके अपना के गौरवान्वित महसूस करत बा.

ऐह मौक़ा प युवा कवि मनोज भावुक कहलन "दरअसल यह भोजपुरी भाषा और साहित्य का सम्मान है. साथ ही यह उन करोड़ों भोजपुरी भाषियों का भी सम्मान है. जो देश-विदेश में रहते हुए भी भोजपुरी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं."

अभी पिछलके महीना अँजोरिया में मनोज भावुक के कई गो गीत प्रकाशित कइल गइल रलऽ.मनोज भावुक के सनेह अँजोरिया से बा आ मनोज जी के सम्मानित भईला से अँजोरिया के हृदया भावुक हो गइल बा.मनोज जी के कोटि कोटि बधाई.

Bhawuk being honoured by Gulzar and Girija Devi

Manoj Bhawuk receiving the award from Gulzar and Girija Devi

अगिला महीना अँजोरिया मनोज भावुक के पुरस्कृत गजल संग्रह "तस्वीर जिन्दगी के" पूरा के पूरा प्रकाशित करी जेहसे कि सगरी दुनिया के भोजपुरिहन के ई संग्रह आसानी से भेंटा जाव.


गदह पचीसी

हमरा का मालूम रहे कि "मैं अकेला ही चलूंगा, कारवाँ बन जायेगा".

एगो जमाना रहे जब विनय रेखा जी आ शशिभूषण राय जी का अलावा केहू दोसर ना रहे जे नेट पर भोजपुरी के बात करत होखो. ओह लोग के साइट रोमन लिपि में रहे. हम पहिला हाली देवनागरी लिपि में भोजपुरी पत्रिका अँजोरिया शुरु कइनीं. डा.राजेन्द्र भारती जी का सहयोग से कुछ रचना भेंटा जाव आ हम अपना साईट पर डाल दीं. फान्ट के बड़का प्राब्लम रहुवे. सबका लगे अलगा अलगा फान्ट कहीं ष ना लउके त कहीं श. कतना फान्ट अजमवनी. डायनामिक फान्ट के भी ट्राइ मरनी बाकिर हमरा से हो ना सकल. संजोग से तबले हमरा युनिकोड के बारे में जानकारी मिलल आ हम युनिकोड के अपना लिहनी. भोजपुरी में कवनो साइट पहिलका हाली अँजोरिया निकलल. बाकिर अकेला आदमी, पेशा से डाक्टर, पूंजी के कमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर के कमी ढेर कुछ करे ना देब. लिखनिहार लोग लिख के दे देव, हम निकालियों दीं अँजोरिया में बाकिर इन्टरनेट पर आके पढ़े देखे वाला केहू लउके ना.

एही बीच में जमशेदपुर से सुधीर आ शशि के जोड़ी भोजपुरिया डाटकाम का रुप में धमाका कइलस. हम देखनी त बड़ाई करे से अपना के रोक ना पवनी. पहिला हाली भोजपुरी के कवनो मजगर साईट नेट पर आईल रहे. बाद में अमेरिका से शैलेश मिश्रा जी, मुम्बई से सतीश यादव जी भी भोजपुरी के साइट निकालल लोग. भोजपुरी एसोसिएशन आफ नार्थ अमेरिका के साइट रोमन में बा. सतीश जी के साइट पीएनजी के भरपूर इस्तेमाल करेला. बाकिर युनिकोड में अँजोरिया का बाद भोजपुरिया डाटकामे आइल.

सुधीर आ शशि के जोड़ी के केहू के नजर लाग गईल आ जोड़ी बिखर गइल. भोजपुरी के कई गो साईट सुधीर भाई बुक करा के धइले बाड़े. एही बीच शशि जी इन्टरनेट पर आपन लिट्टीचोखा ले के अइलन. सुधीर जी लिट्टी चोखा में हाइफन लेखा घुस गइलन आ लिट्टी-चोखा खियावे लगलन. हमरा ई नीक नइखे लागत. अँगुरी पर गिने लायक आदमी बाड़े भोजपुरी नेट पर - शशिभूषण राय, बिनय रेखा, ओमप्रकाश, शैलेश, सुधीर, सतीश, शशि सिंह, आ अब सबसे मशहूर मनोज सिंह भावुक. जरुरत तऽ बा कि सबकेहू मिलजुल के भोजपुरी आन्दोलन के आगा बढ़ावो बाकिर तले ई गदह पचीसी शुरु हो गइल. गठरिया तोर कि मोर वाला अन्दाज में.

खैर अपना पुरान सुभाव का अनुसार अँजोरिया केहू के नीक केहू के बाउर ना कही. हम त इहे चाहब कि सबकेहू एक दोसरा के वेबसाइट के लिंक देव, एके फान्ट अपनावे. प्रकाशन सामग्री सबकेहू अपना अपना पसन्द से प्रकाशित करे. केहू केहू के काटे के कोशिश मत करे. नेट के दुनिया बहुते बड़हन बा. एहिजा सबका खातिर भरपूर जगहा बा. टँगरी पसार के सूतऽ भा मोड़ के तहार मर्जी. कवनो नाम पर केहु के बपौती नइखे, बाकिर अपना संस्कार आ संस्कृति के भुलवला के जरुरत नईखे. गोड़ऊ नाच देखवला के काम नइखे.

एक बार फेर हम बता देबे चाहत बानीं कि अँजोरिया विनम्र भाव से जतना भोजपुरी साइट मिली सभकर लिंक देत रही. जे भी नया साइट शुरु करे ओकरा से निहोरा बा कि हमरा के जरूर सूचित कर देव जेहसे हम ओह साइट के लिंक दे दीं. नेट पर आवे वाला जवना साइट के चाहे देखे. एके गली में पचासन क्लिनिक रहेला, जेकरा जवन डाक्टर नीक बुझाला ओकरा से देखावेला.


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