बतकुच्चन

आज अचानक मन में कुछ सवाल उठल आ जब ओह पर सोचे बइठनी त फेर बात पर बात निकलत चल गइल. बात पर बात निकलेला त कई बेर बात बेबात के हो जाले आ फेर ओकरा के सम्हारल मुश्किल हो जाले. कुछ लोग बतकही में माहिर होखेला त कुछ लोग बाल के खाल खींचे में आ एही के बतकुच्चन कहल जाला. बात के अतना कूँच दिहल कि फेर चिन्हाव ना कि कुँचाये से पहिले का रहे. मतलब कहवाँ से शुरु भइल रहे.

आजुवो बात शुरू भइल रहे दोसरा कुछ से. छठ व्रत सामने बा आ चारो ओर छठी माई के गीत सुनाई पड़त बा. सवाल ई बा कि जब छठ पर सूरुज देव के पूजा कइल जाले, सुरुजे देव के अरघ दिआले त छठी माई के नाम कहाँ से आ गइल? छठी माई से सभे अरज करेला कि सुनलीं ए छठी मइया अरजिया हमार. छठी माई के रहलीं अब ई जाने का फेर में दिमाग चक्करघिन्नी हो गइल बा. छठी माई का डर से केहू से पुछलो नइखे बनत कि सूरुजदेव के पूजा के पर्व छठी माई के व्रत कब आ कइसे बन गइल?

आ एही पर कुछ दोसरो शब्द सामने आ गइले सन. व्रत, उत्सव, त्योहार, पर्व. उपरे झाँपर सोचीं त सब एक दोसरा से मिलत जुलत बुझाई बाकिर सब एक दोसरा से अलगो बा. व्रत कवना पर्व के कहल जाई आ उत्सव कवना के? जवना में कुछ बरतल जावऽ, माने कि कुछ मनाही होखे, ओकरा के व्रत कहल जाला. जइसे जवना पर्व festival में कुछ मनाही होखे, उपवास करे के पड़े, फलां चीज खाये के बा फलाँ चीज ना, ओकरा के त व्रत कहल जाला बाकि पर्व के उत्सव. अब छठ व्रत हऽ आ दिवाली उत्सव, होली उत्सव. त उत्सव का हऽ? जवना पर्व में उत्साह होखे, खुशी में झूमे के मौका मिले ओकरा के उत्सव कहल जाला. त फेर त्यौहार का भइल? शायद ऊ पर्व जवना में व्रत का साथे साथ उत्सवो मनावल जात होखे. जइसे कि दुर्गा पूजा. छठो पूजा त्योहार हो गइल बा. बाकि छठ में त केहू के त्योहारी बाँटत नइखीं देखले. दुर्गोपूजा में त्योहारी बाँटल ना सुनाला. हँ दियरी बाति का दिने जरुर त्योहारी बाँटल जाला. त्योहारी ओह भेंट भा बख्शीश के कहल जाला जवन कवनो त्योहार भा खुशी का दिने अपना आदमी जन भा बाल बुतड़ू के बाँटल जाला. त का खाली दिवालिये त्योहार हऽ हमनी के?

बतकुच्चन के खासियत इहे होला कि ओकर कवनो आदि अन्त ना होखे. कहीं से शुरु हो जाईं कहीं खतम कर दीं. त आजु के बतकुच्चन रउरा कइसन लागल? अगर ठीक लागल होखे त बताईं ना त कुछ विद्वान लोग त कहते बा कि कुछ वेबसाइट बकवास छोड़ के कुछ नइखे आ ओह लोग से भोजपुरी के नुकसान हो रहल बा. अगर रउरा लागत होखे कि ई सब बकवासे बा त उहो बता दीं कम से कम मेहनत करे से त बाँचब. बाकि जानत बानी कि रउरा से बहुत कमे लोग ई कष्ट उठाई कि editor@anjoria.com के इमेल भेज के आपन राय दी. एहसे बतकुच्चन के हम सीरिजे चला देम. अगिला बतकुच्चन में तोपना आ पेहान के बात होखी अगर एह बीचे कवनो दोसर बतकुच्चन के मौका ना मिल गइल त.

- बतबनवा