असैनिक परमाणु समझौता

As on 20th August 2007

आजु काल्ह भारत आ अमेरिका का बीच भईल असैनिक परमाणु समझौता पर बड़ा बवाल खड़ा हो गईल बा. आईं जानल जाव कि ऐह समझौता में बा का आ काहे एकर विरोध हो रहल बा.

आजु तकले भारत के हालत गाँव के छँटुआ के तरह रहल हऽ जेकरा से केहू रोटी पानी के संबंध ना राखे.

भारत सबका के ठेंगा देखावत आपन परमाणु कार्यक्रम चलावत रहल हऽ १९७४ में इन्दिरा गाँधी आ १९९८ में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार पोखरण में अणुबम विस्फोट करि के पुरा दुनिया में अपना आणविक ताकत आ सोचि के प्रदर्शन कईले रहुवे. अटल बिहारी सरकार के परमाणु विस्फोट के तऽ अमेरिका के भनको ना मिल पावल रहुवे. ओकरा बाद पूरा संसार के आणविक शक्ति सम्पन्न देश भारत का खिलाफ प्रतिबन्ध लगा दिहलें. भारत सरकार प्रतिबन्ध से तनिको ना घबड़ाईल आ दुनिया के देखा दिहलसि कि भारत आपन सुरक्षा का सवाल पर हर बन्दिश से टकराये के ताकत राखेला. बाद में धीरे धीरे पूरा दुनिया, चीन आ पाकिस्तान छोड़ के, आ चीन के मानसपुत्र भारत के कम्यूनिष्टन के छोड़ि के, मान गइल कि भारत पर प्रतिबन्ध से ना समझौता करिके रहल नीक रही. बाजपेयी सरकार अमेरिका का संगे असैनिक परमाणु समझौता का तरफ पहिलका कदम उठवलसि जवना के बाद में मनमोहन सरकार परिणति पर चहुँपवलसि. भाजपा के खुन्नस बा कि ओकरा इ मौका ना मिल पावल. एहीसे ऊ एह समझौता में खोट खोज रहल बा. कम्यूनिष्ट तऽ वईसहूं चीन में बईठल अपना आका लोग का कहला पर चलेलें, देश हितपर सोचि के ना. एह समझौता से चीन के परेशानी ढेर बढ़ि गईल बा आ एहिसे अपना देश के कम्यूनिष्ट एह समझौता के रद्द करावे पर भिड़ल बाड़न.

एह समझौता में अईसनका कुछुवो नईखे जवना से देश के डेराये के जरूरत होखे. परमाणु परीक्षण पर हमनी का अपनहीं एकतरफा रोक लगवले बानीं. आ आजु का जमाना में परमाणु परीक्षण खातिर बम फोड़ल जरूरी नईखे. लैब में बईठके कम्प्यूटर पर सिमुलेट करिके ढेरे जानकारी पावल जा सकेला. दोसरो अणविक ताकत ईहे करत बाड़न.

भारत अपना सैनिक आणविक संस्थानन के एह समझौता से बाहर रखवावे में सफल रहल बा. दोसरे अणु ईंधन के फेर से इस्तेमाल करे के आ संवर्धन करे के अधिकारो बचाल लिहले बा. सबले बड़हन बाति ई बा कि पूरा दुनिया अब मान लिहले बा कि भारत एगो आणविक ताकत बनि गईल बा. अब केहू ओकरा पर एनपीटी साईन करे के नईखे कहत. असैनिक आणविक जरूरत खातिर पूरा संसार आपन माल बेचे खातिर तैयार बईठल बा, चीन के छोड़ि के. चीन तऽ वईसहूँ कबो ना चाही कि भारत के ताकत बढ़ो. आ चीन अपना मकसद खातिर भारत के कम्युनिष्टन लेखा चेला पोसि पालि के ऐही खातिर रखले बा.

चीन आ पाकिस्तान के हितन के रक्षा करे में लागल हिन्दुस्तानी कम्युनिष्टन का भरपूर मेहनत का बादो पाकिस्तान परेशान बा कि अमेरिका भारत का साथे ई समझौता करिके क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ रहल बा. चीन के परेशानी बा कि अमेरिका ओकरो संगे १२३ का तहत समझौता कईले बा बाकिर ओहमें आ भारत का संगे कईल समझौता में आसमान जमीन के फरक बा. भारत के ईंधन के सप्लाई बनाये राखे के, इस्तेमाल कईल ईंधन के रिप्रोसेस करे के, आ कवन एटामिक संस्थान देखरेख में चली ई चुने के अधिकार दिहल बा. भरसक कम्यूनिष्टवा अतना बेचैन बाड़न सऽ ! बाकिर ई भाजपा के का हो गईल बा? क्षणिक लाभ का लालसा में देश के दीर्घकालिक नुकसान चहुँपावे में ऊ काहे लागल बा ई नइखे बूझात. गनीमत अतने बा कि सरकार का कीमतो पर मनमोहन अबहीं ले अड़ल बाड़न कि करार बरकरार रही.

अब जवन सम्भावना बचल बा उ ईहे कि
१. सरकार करार पर आगा बढ़ो आ सरकार के गिर जाये देव.
२. सरकार करार पर आगा मति बढ़ो आ आपन ईज्जत माटी में मिला लेव.
३. कम्युनिष्ट कवनो तरह से मान जासु, जवना के तनिको उम्मेद नईखे.
४. दुनू पार्टी कवनो बहाना खोज लेसु आ एगो कमेटी बना देसु जवन पूरा मामिला पर फेर से विचार करो. बाकिर करार पर काम अपना रफ्तार पर चलत रहो.
५. हर हालत में संप्रग के दुर्गति तय बाटे.

कांग्रेस तनिको ना चाही कि सरकार जाव. हो सकेला कि ऊ मनमोहन सिंह के बलि दे देव ताकि कम्युनिष्टवा खुश हो जा सऽ. हो सकेला कि एही बहाने सोनिया अपने पीएम बन जासु.