"इमेजिन द इण्डिया दैट कैन बी"

१२ अक्टूबर २००७ के दिन हिन्दुस्तान टाइम्स सम्मेलन २००७ : में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण के भोजपुरी रुपान्तर -

एह महत्वपूर्ण सम्मेलन में एक हालि फेरु से भाग लिहला के मौका पाके हम बहुते खुश बानीं. जइसे कि हम पहिलहूं कह चुकल बानीं एह तरह के मंचन से हमनी का एक दोसरा के विचारन के जाने सुने के मौका मिलेला. एहसे जनता के सोचविचार के सही आकार देबे खातिर बहस के मौका मिलेला. हम शोभना जी के एह बाति खातिर बधाई देत बानीं कि ऊहाँ का अइसनका सम्मेलन के गुणवान बनावे में पूरा रुचि लिहिलें.


आजु फेरु देखत बानीं कि ढेरे प्रभावशाली बोलवइया आ सुनवइया दुनू एहिजा हाजिर बाड़न.


हमरा उम्मेद बा कि सम्मेलन में बोलल विचार आ जानकारियन के पूरा देश में परोसल जाई. अइसनका कार्यक्रमन के नतीजन के भारत के हर भाषा में उल्था करेके चाहीं जेहसे एहिजा मौजूद महत्वपूर्ण लोगन के विचार जाने के जनता के मौका मिलो. हालंकि हम बड़ा विश्वास से ई बाति कह सकत बानीं कि अपना देश के लोग बहुते मुद्दन पर राजनेता आ बौद्धिक लोगनसे एक डेग आगहीं रहेला लोग. भारत के लोग अनेकन हालि ई सिद्ध कइले बा कि ओह लोगन में बदलाव के साथ तारतम्य बइठावे के अद्भुत क्षमता बा आ अक्सरहाँ ऊ लोग जरुरी बदलाव के वाहक बनि जाला. कबो कबो तऽ हमरा राजनीतिज्ञ, नीति निर्माता आ जनमत निर्माता का रुप में लागेला कि कइ हालि हमनी का अपनहीं लोगन का राय से पाछा रह जालीं.


हम जवन कहत बानीं ऊ दिन दिन जवान हो रहल अपना समाज का बारे में आउरियो सटीक बा. भारत एगो जनसांख्यिकी क्रान्ति से गुजर रहल बा. हमरा देश में एह घरी युवा पीढ़ी के प्रधानता बा. हर चुनाव में एगो नया पीढ़ी शामिल हो जा रहल बा. हर पीढ़ी के आपन एगो सपना होखेला. हर पीढ़ी अपना तरीका से भावी भारत के परिकल्पना करेला. हमनी का तेजी का साथ एह जनसांख्यिकीय आ सामाजिक बदलाव से गुजर रहल बानीं जा. समाज में नया विचार आ अनुभव हर पीढ़ी के परिकल्पना के विस्तार करेला. हमनी काजवना भारत के परिकल्पना कर रहल बानीं जा, हो सकेला कि काल्हु ऊ पुरान पड़ि जाव.


एहसे ई बहुते जरूरी बा कि हमनी का एह बदलत वास्तविकता के संपर्क में रही जाँ आ अइसनका भारत के समुझे के कोशिश करीं जा, जवना के परिकल्पनो हमनी का कबहियों नइखीं कइले . भारत के हमनी के परिकल्पना कवनो वास्तविकता के परीक्षणे भरि नइखे, बलुक ई राष्ट्रवाद आ गणराज्यवाद के नींव के आउरी मजबूत कइल बा.


हम ई बाति एहुसे कहत बानीं काहे कि हमनी के गणराज्य एगो सामूहिक परिकल्पने के देन हऽ. अक्सरहाँ ई कहाला कि भारत एगो पुरान सभ्यता बाकिर जवान राष्ट्र हऽ. भारत के विचार हमनी के सभ्यता के जड़न आ सामाजिक, राजनीतिक, बौद्धिक आ सबले बढ़िके हमनी के राष्ट्रीय आन्दोलन के भावनात्मक आधार से उपजल बा. ई सब मिल के हमनी के सामूहिक परिकल्पना के परिभाषित करेला. वइसनका राष्ट्र के संभावना असीम होला जवन कवनो एगो जाति, धर्म, भा भाषा का बजाय मानव परिकल्पना के विवध स्रोतन पर टिकल होखे. कवनो स्थिर विचारधारा हमनी का लोगन के रचनात्मकता, उद्यमशीलता आ परिकल्पना के सीमित भा जड़ ना बना सके.


इहे कारण बा कि हम भारत का भविष्य खातिर आशावान बानीं. ई आशावाद खाली कल्पना पर नइखे टिकल. ई हमरा अनुभव आ पिछलका काम पर आधारित बा. आजु हमनी का जहाँ बानी, साठ साल पहिले आजादी मिले घरी, शायद ओकर कल्पनो कुछ लोग ना कइले होखे. हम अपना जीवन के शुरुआती दस साल अइसनका गाँव में बितवले बानीं जहाँ पानी के सप्लाई ना रहुवे, सफाई के कवनो व्यवस्था ना रहुवे, ना बिजली रहुवे, ना अस्पताल, ना स्कूल. स्कूल जाये खातिर हमरा लमहर जाये पड़त रहुवे आ घर में तेल के दिया का रोशनी में पढ़े के पड़त रहुवे. तबसे आजु ले हमनी का एगो लमहर सफर तय कर लिहले बानीं जा. एहमें कवनो सन्देह नइखे कि आजुवो अपना देश में वइसनका कुछ जगह बाँचल होखो. बाकिर ओहू लोग के पुरा उम्मेद होखी कि जल्दिये ओहू लोग के भाग्य पलटी.


आजु हमनी का सामाजिक आ आर्थिक विकास के एगो नया युग के दहलीज पर बानीं. हालिया तेज रफ्तारी आर्थिक बढ़ोत्तरी आ संगही संगे सामाजिक आ मानविक विकास के देखत एह बाति के नया उम्मेद जागत बा कि जल्दिये हमनी का घोर गरीबी, अज्ञानता आ बीमारियन से निजात पा लेहम जाँ. पिचला तीन साल में हमनी का लोगन के बड़हन समूह के विकास खातिर महत्वपूर्ण मुद्दन पर तेजी का साथ ध्यान दिहले बानीं जा. संकीर्णता, सम्प्रदायवाद आ विघटनकारी ताकतन का खिलाफ जनमत तइयार करे में आ अइसनका नीति आ कार्यक्रम बनावे में सफलता पवले बानीं जा जवना से नया भारत के उदय होखी. एह नीतियन आ कार्यक्रमन केविचार विमर्श आ बहस के बाद अंतिम रुप दिअइल बा. अखबारन आ मीडिया से जवन जानकाड़ी मिल रहल बा ओकरा से हमरा उम्मेद बनत बा कि हमनी के लोकतंत्र में अद्भुत क्षमता बा जेकरा बल पर आम आदमी से जुड़ल महत्वपूर्ण मुद्दन पर, चाहे ऊ गाँवन के विकास के हो, शिक्षा के हो, स्वास्थय के देखभाल के हो, भा सामाजिक सुरक्षा के हो, पूरा ताकत का साथ ध्यान दिहल जा सकी. इहे गुंजायमान ताकत हमरा के आश्वस्त करेला कि काल्हु के भारत आउरी महान होखी.


बाकिर प्रगति खातिर, लोगन के आकांक्ष पूरा करे खातिर अबहीं बहुत कुछ करे के बा. विकास आ सुधार के कार्यसूची मेंबकाया मुद्दा अबहियों ढेरे बा जवन हमनी के इन्तजार करि रहल बा. हमनी का अपना कीर्ति पर निर्भर ना रह सकी जाँ, नाहीं ई मानि के चल सकीं जा कि सफलता मिलबे करी. पिछलका पाँच साल में हमनी के अर्थव्यवस्था में सैकड़े नौ के बढ़ोतरी भइल बा. अइसनका कबहूं ना भइल रहुवे. आगहूँ एकरा के बनावल राखल जा सकेला. बाकिर एकरा के हम सहज आ सरल उपलब्धि ना मान सकीं.


हमनी का ई ना सोच सकीं जा कि फालतू बेमतलब विवादन में उर्जा लगवला का बादो देश आ अर्थव्यस्था के विकास अपने आप होत रही. अगर हमनी के समय आ ताकत गड़ल मुर्दा उखाड़े में बरबाद होत रहल तऽ हमनी का अपना वर्तमान के प्रभावशाली बनावे के उम्मेद कइसे करेम. हम जोर देके कहत बानीं कि अबहीं बहुत कुछ कइल बाकी बा.


मीदिया में जब सुधार के बाति चलेला तऽ अक्सरहाँ वित्तीय आ ओद्योगिक क्षेत्रन पर ध्यान केन्द्रित कर दिहल जाला. हमहूँ मानत बानी कि ई अइसनका क्षेत्र हवे जहवाँ हमनी का बहुते कुछ करे के जरुरत बा. जबकि वास्तविकता इ बा कि एह क्षेत्रन में बहुत कुछ कइल जा चुकल बा. कुछ दोसरो क्षेत्र बा जवन ओतने महत्वपूर्ण बा आ जहवाँ सुधारन के जरुरत बा.


खास करिके हम राउर ध्यान खेती आ ग्राम विकास, बुनियादी ढाँचा, बिजली, शिक्षा, स्वास्थय, आ जन वितरण का ओर ले जाये के चाहेम.


हम ग्राम विकास आ शिक्षा का बारे में खास करिके चिन्तित बानीं. ई दुनू ढेर लमहर समय से हमनी का ध्यान का केन्द्र में बा. खेतिहर समाज आ गाँव का लोगन के विकास प्रकिया में समान हिस्सेदार आ पवनिहा बनावे के होखी. ओह लोग के जीवन स्तर उठावे आ सामाजिक सुरक्षा आ जोखिम का खिलाफ बीमा दिआवे खातिर लागे के पड़ी. गाँव आ शहर के बीच अधिका आ कम विकास के खाई पाटे के पड़ी. ई लक्ष्य पावल बहुते जरूरी बा.


अनुसूचित जाति आ जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिला, आ अल्पसंख्यकन के शिक्षा का माध्यम से अढ़िकार चहुँपावल ओतने जरूरी बा. कवनो आधुनिक देश अइसन नइखे जहाँ के सैकड़े अस्सी से कम लोग शिक्षित होखे. हम स्वतंत्रता दिवस पर अपना भाषण में कहले रहीं कि भारत के आधुनिक शिक्षा में नया क्रान्ति करे के जरुरत बा. हर गाँव में निमन स्कूल, काम करत अस्पताल, पानी, बिजली सफाई के सुविधा जरूरे होखे के चाहीं. आधुनिक शिक्षा आ स्वास्थ्य सुविधा हर आदमी का चहुँप का भितर होखे चाहीं. भारत खातिर ई कुछ अनिवार्यता बा कवना के हमनी का पूरा करे के चाहत बानीं जा.


रउरा लोग के इयाद होखी, पिछला साल रउरा सम्मेलन के विषय रहुवे - भारत अगली महाशक्ति. हम रउरा सभे के चेतवले रहीं कि ई भुलाइल ठीक ना होखी कि विकसित अर्थव्यवस्था बने का पहिले हमनी के बहुते बाधा पार करे के बा. आजुवो हमनी का एगो गरीब राष्ट्र बानीं. महान राष्ट्र बने खातिर हमनी का अपना लोगन के जीवनके गुणवत्ता सुधारे के पड़ी, रजगार के अधिका अवसर पैदा करे के पड़ी. उत्पादकता बढ़ावे के पड़ी, सभ लड़िका लड़िकिन के शिक्षित करे के पड़ी आ पसरल गरीबी भगावे के पड़ी.


आजु हम फेर से ओही बाति पर जोर देबे के चाहत बानीं. देश के महान संभावना के कल्पना कइल आसान बा. बाकिर ओरा से पहिले हमनी का वइसनका आधार पैदा करे के पड़ी जवन ओह संभावनन के पूरा करे में सहायक बनि सको. एकरा खतिर हमनी का सपना देखला के जरुरत नइखे. जरुरत बा काम करे के आ तत्काल कार्रवाइ करे के. हमनी के उद्योग प्रतिस्पर्धी बनि सको एकरा खातिर लगातार कोशिश करत रहे के पड़ी. शिक्षा प्रणाली के गुणवत्ता में जरुरी सुधार करे के पड़ी. जन वितरण व्यवस्था, खास करि के स्वास्थय सेखभाल, सफाई, पिये के पानी आ सार्वजनिक परिवहन में जरूरी सुधार ले आवे के पड़ी. नयका विकासशील औद्योगिक अर्थव्यवस्थन का लाइन में खड़ा होखे खातिर हमनीके अबहीं लमहर दूरी तय करे के बा.


अपना सपना के भारत बनावे खातिर हमनी में वइसनका काम करे के साहस करे के पड़ी जइसनका काम के उम्मीद लोग हमनी से दीर्घावधि में आ सर्वोच्च हित में करे के रखले बा. हमरा इहो मालूम बा कि दीर्घावधि लक्ष्य हासिल करे खातिर अल्पावधि संघर्षन में अपना के बचा के राखे के पड़ेला. तबहियों हमनी के रोजमर्रा के चुनौती के सामना करत घरी दीर्घावधि के लक्ष्यन पर निगाह बनवले राखे के चाहीं.


हम १९९१ के समय के इयाद करे के चाहेम.जब सुधार लागू करे खातिर आ अर्थव्यवस्था के आधुनिक बनावे खातिर कवना कवना दबावन के सामन करे के पड़ल रहुवे. भारत बम्भीर आर्थिक संकट से गुजरत रहुवे. अगर हम अपना आलोचकन का सोझा झुक जइतीं तऽ देश हार गइल रहित. अगर हमनी के निश्चय दृढ़ ना रहित, अगर हम अपने सन्देह से डेरा जइतीं, तऽ राष्ट्र मुसीबत में फँस गइल रहित. हमरा मन में भविष्य के कवनो आशंका ना रहुवे आ हम ऊ सब काम कइनीं जवन देश का हित में रहे. ढेर लोग के चिन्ता रहे कि हमनी का नितिअन से भारत उद्योगीकरण का राह से भटक जाई. उल्टे ओह सुधारन से उद्यमशिलता आ रचनात्मकता के नया युग के शुरूआति देश में भइल. संकट, राजनीतिक अस्थिरता, चिन्ता के घेरन का बावजूद हमनी का अइसनका भारत के कल्पना कइनीं जा, जवना के साकार कइल जा सकत रहे.


हमनी के सपना अबहीं पूरा नइखे भइल. तबहियों हमरा कवनो सन्देह नइखे कि हमनी का अइसनका वातावरण बनावे में सफल बानीं जवन आवे वाला पीढ़ीयन के सपना साकार करे खातिर आउरी दृढ़ता, रचनाशीलता, आ भरोसा का साथे उत्साहित करी. बीस सल पहिले जवना भारत के हमनी का कल्पना कइले रहीं जा ऊ आजु हमनी का चहुँप का भीतर बा. आजुवो हम जवना भारत के कल्पना करि रहल बानीं ओकरो के साकार कइल जा सकेला बशर्ते हमनी का भरोसा राखीं, लक्ष्य तय करीं, आ ओही मुताबिक मिहनत करीं.


हम भारत के खुलल अर्थव्यवस्था आ खुलल समाज वाला देशन का लाइन में सही जगहा दिआवल चाहत बानीं. हम चाहत बानीं कि छोट बड़ सब देशन से भारत के संबंध निमन रहो. भारत बरोबरी आ एक दुसरा के सम्मान का शर्त पर हर देश से निमन संबंध बनावे के राखे के चाहत बा. हम चाहत बानीं कि भारत ओह सब वैश्विक परिषदन के सदस्य बनो, जहवाँ एक अरब से अधिका लोग के आवाज उठावल सुनावल जा सको.


पिछलका तीन साल में अनेक देशन का साथ हमनी के द्विपक्षीय संबंध अधिका व्यापक आ विविध बनल बा. दुनिया के व्यापार में आ पूंजी में हमनी के हिस्सेदारी बढ़ल बा काहे कि हमनी के अर्थव्यवस्था दुनिया से जुड़ल बा. वैस्विक अर्थव्यवस्था से हमनी का बढ़िया से जुड़ल बानीं. भारत के आवाज अब जरुरे सुनल जाई आ हमनी के विचार जरुरे जानल जाई. आगे आवे वाला अवसरन के इस्तेमाल आ अपना जिम्मेदारियन के निभावे खातिर हमनी का अपना के तइयार करे के पड़ी.


दुनिया का संगे व्यवहार में लेनदेन के प्रक्रिया अपनावे पड़ेला. भावी भारत अइसनका होखी जेकरा अपना पर भरोसा होखी. अपना योग्यता आ क्षमता पर भरोसा होखी. हमरा पूरा विश्वास बा कि भारत का लोग में आत्मबल पूरा बा. महान राष्ट्र, गौरवशाली जनता, पुरान सभ्यता, आ दुनिया के हर धर्म के जमीन देबे वाला राष्ट्र का लगे आत्मविश्वास के कमी ना हो सके. हमरा यकीन बा कि भारत के लोग विश्व का संगे व्यवहार में एही भरोसा से काम लीहि. सन्देह हमनिये लेखा लोगके होखेला जे सत्ता में बा.


प्रतिस्पर्धा के राजनीति का युग में राजनीतिज्ञन के मनोवृति होखेला कि कम से कम समय में अधिका से अधिका पा लीं. एही कारण लोकतांत्रिक आ बहुलसमुदायिक राष्ट्रने के एगो अइसनका समूह के जरुरत पड़ेला जवन दीर्घावधि के सोच सके. राष्ट्र निर्माण में वइसनका सोच राखेवाला पुरुष आ महिला के भूमिका बहुते कारगर होला. दूर के सोचेवाला लोग के रोजमर्रा का लड़ाई मे कवनो निहित स्वार्थ ना होला. जरूरत वइसनके लोगन के बा जे निहित स्वार्थ भा अल्पकालिक लाभ खातिर समाज के एके वर्ग, एके धर्म, एके क्षेत्र खातिर मत सोचे. जरुरत वइसनका लोगन के बा जे राष्ट्र का बारे में सोचे, ओकरा भविष्य का बारे में सोचें. जरूरत बा राष्ट्र के भविष्य आ ओकरा संभावनन का बारे में सोचे के.


लोकतंत्र के जड़ मजबूत करे खातिर आ ओकर नेंव के लगातार मजबूत करत रहे खातिर हमनी का अपना बविष्य का बारे में जरुरे चिन्तनकरे के चाहीँ. भविष्य में निवेश का दिशा में पहिलका कदम होला ओकरा बारे में सोचे के. हमरा ऊम्मेद बा कि राउर मंच वइसनका लोगन के जगह आ अवसर उपलब्धकराई जे भारत के भविष्य, ओकरा भरोसा, ओकरा आत्मबल का बारे में चिन्तन करी.


धन्यवाद.


तेज अनुवाद करे का मजबूरी में यदि कवनो गलती रहि गइल होखे तऽ माफ करेम सभे.
- सम्पादक