मनोज तिवारी पर आरोप संकीर्णता के उपज.

3 June 2008

बिपिन बहार

Photo of Bipin Bahar

समाज के कवनो क्षेत्र में सफलतम व्यक्ति के प्रति ईर्ष्या भाव उठल एगो सहज मानवीय गुण हवे, एह में ना त कुछ अचरज करे लायक बा आ ना ही बुरा माने लायक.

पिछला हफ्ता से मनोज तिवारी पर हालैण्ड में छपल डाक टिकट के लेके कुछ लोग बड़ा बवाल मचवले बा. मनोज तिवारी जिनकर हजारों गीत पिछला दस बरिसन से भोजपुरिया लोगन के आपन दीवान बनवले बा, जेकर चरण पड़ते भोजपुरी फिल्मोद्योग के नया जीवन मिल गइल आ भोजपुरी सिनेमा के चर्चा सगरो जहान में होखे लागल. मनोज तिवारी, जेकरा के बोला के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल गोवा में बोला के पहिलका बेर भोजपुरी के सम्मानित कइल गइल. उहे मनोज तिवारी जेकरा के मारीशस भेजे लायक उचित पात्र समुझल गइल. दिल्ली में जब राष्ट्रपति का मौजूदगी में ग्लोबल समीट आफ मीडिया एंड इंटरटेण्मेण्ट जइसन कार्यक्रम में भोजपुरी के पहिला बेर शामिल कइल गइल.

अगर भिखारी ठाकुर आ महेन्द्र मिसिर का बाद केहू सबसे ज्यादा भोजपुरी के ग्लैमराइज कइल त ऊ बाड़न मनोज तिवारी. एह परम्परा में शारदा सिन्हा, बालेश्वर आ भरत शर्मा के भी नाम बाटे. साहित्यिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक हर क्षेत्र में मनोज तिवारी आपन पैठ आपन एगो तिलिस्म रखले बाड़न.

कुछ लोग वेबसाइट पर के डाकटिकट संबंधी न्यूज के बिना ध्यान से पढ़ले आ बिना हर लफ्ज के समझले मनोज तिवारी पर आरोप लगावे लागल. अइसनका लोग के आपन मुंह खोले का पहिले इ सोचे के चाहत रहे कि आसमान पर ना थूके के चाहीं ना त आपने मुहँवा गन्दा हो जाई!

हालैण्ड में डाक विभाग के निजीकरण हो चुकल बा. एही के माध्यम बना के कुछ लोग कहत बा कि डाक टिकट सरकारी ना हऽ. अरे भाई जब डाक विभागे ऊहां सरकार का लगे नइखे त डाक टिकट कहाँ से सरकारी हो जाव? बाकिर टिकट फर्जी त नइखे नू.

जब डाक टिकट निकलल त कुछ ईर्ष्यालू लोगन के ई बाति हजम ना भइल. ऊ लोग के खाईल पियल नींद सब हराम हो गइल. आ ऊ लोग नीदरलैण्ड सरकार के बाति, डाक टिकट विभाग के बाति के गलत विश्लेषण कर रहल बा. खैर देश के जनता अब जाग्रृत हो गइल बिया. ओकरा मालूम बा कि मनोज तिवारी का हउवन!

हम ई कबो ना लिखतीं, काहे कि हमरा मालुम बा कि समाज के संकीर्ण बुद्धि के लोग जब ईसा मसीह, बाबा कबीर आ महात्मा गाँधी तक के ना छोड़ल त भला मनोज तिवारी के कवन बिसात?


सम्पादक के नोट : बिपिन जी के लेख लमहर बा. पूरा लेख ना छाप के हम कुछ अंश दे रहल बानीं. काहे कि कुछ अंश पर विवाद फेर बढ़े के बात हो सकेला.

बिपिन जी से हम बहुत विनम्रता से अनुरोध कर के कहम कि मनोज तिवारी के व्यक्तित्व अगर बड़ ना रहित त एह बात के कवनो चरचे ना होखीत. सफलता गलत काम के लाइसेंस ना होखेला. सफल आदमी के विनम्र होखे के चाहीं आ मनोज तिवारी में ई विनम्रता बा.

पूरा मीडिया में शुरुआत में इहे छपल रहुवे कि सरकार डाक टिकट निकाल के सम्मानित कइले बिया. बात जब निकल गइल त ओह बाति के सम्हारे के चाहे चाहत रहे.

शायद सबसे पहिले एह खबर के अंजोरिये छपलसि कि डाकटिकट निजी कम्पनी के छापल हऽ. आ कम्पनी व्यावसायिक आधार पर अइसनका टिकट छापे के काम करेले. एहमे कवनो खराबी नइखे. बाकिर ओकरा के गलत ढंग से प्रस्तुत कइल गइल.

अब जब बिपिन बिहारी जी फेर से ओह बात के उठवलन आ आरोप लगावे वालन के संकीर्ण बुद्धि के मानस कहलन त ओहमें हमहूं लपटा गइनीं. मजबूरन बिपिन जी के बात के जवाब देबे के पड़ऽता.

सम्मान सम्मानित करे वाला से सम्मानित होला. जेकर अपने कवनो सम्मान नइखे ऊ दोसरा के का सम्मानित करी? सरकारी डाक टिकट आ कम्पनी के छापल डाक टिकट, दुनू के एके तराजू पर ना तवलल जा सके. चलीं अतने से सन्तोष बा कि सब केहू असलियत जान गइल. पहिलहूं कहले रहीं कि धीरे धीरे लोग इ सब बात भुला जाई आ इयाद रह जाई मनोज तिवारी के गीत अभिनय आ बेवहार. भगवान मनोज तिवारी के सफलता के राह पर चलावत रहसु.

अब एकरा बाद एह प्रकरण के अंजोरिया का तरफ से खतम कइल जा रहल बा. एह विषय पर आगा कवनो टीका टिप्पणी ना छापल जाई. इहो आशा बा कि पंकज शुक्ला का शब्दन में कहल सुनल माफ हो जाई.

मनोज तिवारी पर डाक टिकट

बात त ठीके रहल बाकिर.....

Photo of Manoj Tiwari

बात त ठीके रहल बाकिर उत्साह में बढ़ा दिहल लोग. केहु एह मामिला में सावधानी ना बरतल आ बात के बतगंड़ हो गइल.

आजु भोजपुरी फिलिमन के सुपर स्टार मनोज तिवारी फोन करिके अंजोरिया के तटस्थ समाचार प्रस्तुति खातिर धन्यवाद देत कहलन कि अति व्यस्तता का कारण सम्पर्क ना हो पावल एहसे संवादहीनता के हालात बनि गइल.

उनुका मुताबिक शुरुए में कहल गइल रहुवे कि नीदरलैण्ड के डाक विभाग टिकट निकलले बा. बाकिर मीडया उत्साह में एकरा के नीदरलैन्ड सरकार कह दिहलसि आ फेर जे सुनल उहे दोहरावत गइल. दोसरे ऊ इहो कहलन कि अइसनका नइखे कि टीएनटी पोस्ट जेकरे सेकरे टिकट छाप देले. जवन प्रस्ताव आवेला ओह पर विचार करे खातिर एगो संस्था बा. ओकरा बादे टिकट छपे के फैसला कइल जाला.

देरे से सही बाकिर मनोज तिवारी के पक्ष जइसहीं मिलल रउरा सोझा राख देत बानीं. अब त एह विषय पर अतना गरदा हो गइल बा कि जे ना सुनले रहुवे उहो जान गइल कि मनोज तिवारी पर नीदरलैण्ड में टिकट छपल बा. के छापल, काहे छापल, कइसे छपाइल सब बतिया धीरे धीरे भुला जाई लोग. याद रह जाई त बस मनोज तिवारी के गीत आ अभिनय.

अंजोरिया अपना कबीरनीति पर बरकरार रही.

कबीरा खड़ा बाजार में सबकी पूछे खैर,
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर.

आगहूं जब कवनो खबर भेंटाई त बे लाग लपेट, रउरा सोझा राखल जाई. उमेद बा कि जेकर आलोचना होखी से ओह बात खातिर शिकायत ना करी, कोशिश करी कि आलोचना के हालात मत

As on 1st June 2008

एह बात पर हमरा शरम लागऽता ... कल्पना

मनोज तिवारी पर डाक टिकट

अपना पर निजी कम्पनी से डाक टिकट निकलवा के नीदरलैण्ड सरकार के निकालल डाकटिकट का रुप में प्रचारित करवा के मनोज तिवारी जवन कइले बाड़े ओह पर पूरा भोजपुरी समाज शर्मिन्दा बा.

ई बाति एनडीटीवी के रियलिटी शो जुनून .... कुछ कर दिखाने का में प्रतिभागी कलाकार का रुप में शामिल भोजपुरी के सुपर स्टार गायिका कल्पना कहली. इहो कहली कि कुछ कलाकार आपन गिरत साख के बचावे खातिर गलत सलत रास्ता अपनावत बाड़े जवन भोजपुरी मर्यादा का खिलाफ बा. हमनी का एह तरीका के विरोध करे के चाहीं. कल्पना कहली कि ऊ अइसनका काम के विरोध कर रहल बाड़ी आ सलाह दिहली कि सस्ता प्रचार पावे के रास्ता छोड़ के अपना काम से भोजपुरी के सम्मान बढ़ावे के चाहीं.

मनोज तिवारी के एगो प्रशंसक के फोन लगवनी त ऊ अतना खिसियाइल रहले कि पूछीं मत. कहलन कि भोजपुरी के सम्मान बढ़ावे के अतने चिन्ता बा त भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल करावे खातिर काहे नइखीं काम करत. का फालतू बात मे अझूराइल बानी. डाकटिकट त छपलहीं बा. एकरा के के झूठला सकत बा? ऊ हमरा के इहो चुनौटी दिहलन कि हम २१०० रुपिया देत बानीं रउरा हमरा पर डाकटिकट छपवा दीं. टीएनटी पोस्ट के एह बात के नोटिस लेबे के चाहीं. भारत में ओकरा बड़हन बाजार मिल जाई.

जहाँ तक रहल भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता के सवाल, त बात त ठीक बा. बाकिर एह दुनू विषय के एक साथे राखला के कवनो कारण नइखे. अंजोरिया त हमेशा से कहत आइल बा कि भोजपुरी के उचित सम्मान दिआवे खातिर हमनी का भोजपुरी में लिखे पढ़े बोले बतियावे के आदत डाले के पड़ी. हम त इहो सवाल उठावत आवत बानी कि भोजपुरी में ना त हिन्दीए में सही, बाकिर भोजपुरी क्षेत्र, भोजपुरी भाषा, भोजपुरी संस्कार पर केन्द्रित एगो दैनिक अखबार होखलो जरुरी बा. भोजपुरी के टीवी चैनल खातिर कुछ लोग एक जमाना से लागल बा, पता ना काहे कवनो चैनल अबले साकार ना हो पावल.

मनोज तिवारी पर डाक टिकट

As on 22-05-08

बड़ा शोर भइल रहुवे मनोज तिवारी पर डाक टिकट निकले के. बड़ा खुशी भइल रहुवे कि चलऽ एगो भोजपुरी कलाकार के इज्जत मिलल.

बाकिर ई बात बलिया के सौरभ सिंह वाला हो गइल. सौरभ हल्ला करवा दिहलसि कि ओकरा नासा खातिर चुन लिहल गइल बा. आ राष्ट्रपति कलाम साहबो के ई शुभअवसर ना मिलल रहुवे. यूपी विधान सभा में ओकर सम्मान कइल गइल. जेने देखी तेनिये लोग ओकर सम्मान समारोह करत रहुवे आ ईनाम के झड़ि लाग गइल रहुवे. बाद में मालूम भइल कि सब झूठ हऽ.

चलीं अब कुछ बात कइल जाव, हालैण्ड के, जवना के पूरा दुनिया नीदरलैण्ड का नाम से जाने ले. डच भाषा का चलते कुछ लोग ओकरा के डच नाम से भी जानेला. नीदरलैण्ड में डाक विभाग निजी क्षेत्र में बा आ टीएनटी पोस्ट ओकरा के चलावेला.

टीएनटी पोस्ट विशुद्ध व्यावसायिक संस्था हऽ, से हो सकेला कि कुछ फायदा देख के ऊ डाक टिकट के प्रस्ताव दे दिहले होखो. ऊ वइसनो डाक टिकट निकाल चुकल बा जवना के गमला में रोप दीं त पौधा उग आई!

जब कुछ खोजी पत्रकार मनोज तिवारी का नाम पर डाक टिकट निकाले के खबर सुन के ओकरा तह में जाए के कोशिश कइलन त सरकारी प्रेस सूचना अधिकारी बतलवलन कि हो सकेला कि मनोज तिवारी पर कवनो डाकटिकट होखो बाकिर डच सरकार अइसनका कवनो डाकटिकट जारी नइखे कइले.

अंजोरिया के तरफ से नीदरलैण्ड में डाक विभाग चलावेवाली कम्पनी के इमेल भेजल गइल बा. अबहीं ओकर जवाब नइखे मिलल. मिलते रउरा सभे के पूरा जानकारी दे दिहल जाई.

असल में जब पहिले पहिल ई खबर प्रकाशित भइल त कहल गइल रहे कि हालैण्ड में मनोज तिवारी पर डाक टिकट निकलल बा. कउवा कान ले गइल सुनि के सब कोई धवरि परल. केहू इ देखे खातिर कान पर हाथ ना फेरल कि कान बा कि ना!

भारत में डाकटिकट निकालल सरकारी विभाग का जिम्मे बा. से हमनी खातिर ई बड़ा सम्मान के बाति बुझाइल कि कवनो विदेशी सरकार कवनो भोजपुरी कलाकार के सम्मानित कइले बा. अब पता चल ता कि ओहिजा डाक निजी कम्पनी ढोवेले.

हो सकेला कि कुछ ...... आधार पर फायदा देखि सुनि के ऊ कम्पनी डाकटिकट निकाल दिहले होखे बाकिर ई पब्लिसिटी स्टंट का कैटेगरी में आ जाई सम्मान का कैटेगरी में ना राखल जा सके.

मनोज तिवारी भा उनुका प्रचार अधिकारियन से सम्पर्क ना हो पावे का चलते उनकर पक्ष नइखे राखल जा सकत. मिलते उहो जानकारी दे दिहल जाई.

अब जब झोरा के बेंग कूद के बाहर निकल गइल तब धेयान में आवऽता कि ओह डाकटिकट के नमूना कबो ना लउकल!

Dr. C. P. Thakur, Governor R. S. Gavai, Manoj Tiwari, and Ashwini Choubey at an event in honor of Tiwari in Patna on Tuesday. Photo by Anupam Singh.

टीएनटी पोस्ट के अपने शब्दन में एगो जानकारी ले लीं :

Have your own stamp: Consumers can design their own stamp (www.persoonlijkepostzegel.nl(external website, opens new window)) and have it printed by TNT Post. The stamp can actually be used instead of the ‘standard’ stamps.

शायद अइसने कवनो डाक टिकट मनोजो तिवारी के कवनो चेला निकलवले होखे!

सबले मजा के बाति बा कि अइसनका डाक टिकट ४४ यूरोसेण्ट के निकालल जाला. मनोजो तिवारी के टिकट चउवालिसे यूरो सेण्ट के निकले के खबर छपल रहुवे.

कतना आश्चर्य के बाति बा कि दू दिन पहिले एही बात खातिर बिहार के राज्यपाल मनोज तिवारी के सम्मानित कइलन. काश उनकर अधिकारी पूरा खबर जान लिहले रहतें त अइसनका हास्यास्पद स्थिति में बिहार के राजभवन ना आइल रहित.