बरदाश्त कइले त हमरा व्यक्तित्व के ताकत हऽ कहलन मनोज तिवारी

कला आ संस्कृति के वाहन हमेशा बदलत रहेला. अनेकता में एकता वाला हिन्दुस्तान बहुते कला आ संस्कृतियन के संगम हऽ. चाहे मराठी होखे भा पंजाबी, गुजराती होखे भा बंगाली, भोजपुरी होखे भा मगही, भअ कवनो दोसर कला आ संस्कृति. सब समय समय पर अलग अलग कलाकारन का माध्यम से अपना के आगा बढ़ावत रहेले. ओहि तरह से भोजपुरी संस्कृति कबो भिखारी ठाकुर, कब महेन्द्र मिसिर, कबो विंध्यवासिनी देवी, कबो शारदा सिन्हा, त कबो मनोज तिवारी के आपन माध्यम बने के सुअवसर देत रहेले. मनोज तिवारी गायक आ अबिनेता होखला का साथे भोजपुरी सिनेमा के भूत आ भविष्य दुनु पर नजर रखले रहेले. एहिजा पेश हो रहल बा उनुका से हाल में भइल बातचीत के कुछ अंश

Mridul Manoj Tiwari

आजु भोजपुरी सिनेमा का आकाश पर बदरी जइसन छा गइल बा. भोजपुरी सिनेमा से गँवई संस्कृति के सोन्हापन गायब हो गइल बा. का रउरा अइसन कल्पना कबो कइले रहीं?

हम त भोजपुरी सिनेमा के बहुते उज्जर आसमान देखले बानी आ ऊ पूरो होखी अइसन हमरा पूरा विश्वास बा. हम नइखी मानत कहीं कवनो धुंधलापन आइल बा. स कुछ मेहनत करे के जरुरत बा.

भोजपुरी सिनेमा आजुवो चुनौती झेल रहल बा, अतना त मानब?

भोजपुरी सिनेमा पर कुटिल हमला भइल बा बाकिर ई कुटिल राजनीति भोजपुरी सिनेमा के कुछ बिगाड़ ना पाई.

साल ६१ में जब विश्वनाथ शाहाबादी गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो बनवले रहलें त एगो इतिहास बनल रहे. अपने के ससुरा बड़ा पइसा वालो से एगो इतिहास बनल रहुवे. आजु अइसनका कई गो भोजपुरी फिलिम बनत बाड़ी स जवना के हम भोजपुरी के स्वस्थ संस्कृति के वाहक ना मान सकीं?

भोजपुरी पर अश्लीलता के आरोप जरुरत से कुछ बेसिये लगावल जाला. वइसे कुछ हद तक ई साँचो बा. निमन फिलिम बनऽ स आ लोगन के मालूमो होखे त वइसन फिलिम जरुरे चली. बस बढ़िया पब्लिसिटी कइला के काम बा.

मनोज जी, अपने के बहुते विरोध होलाबाकिर रउरा से मिलला का बाद लोग अपने के तरीफ करे लागेले.

के तारीफ करऽता?

महानायक अमिताभ बच्चन, संत मुरारी बापू, क्रकिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी वगैरह वगैरह सब त अपने के तारीफे करेले.

विरोध सफलता के निशानी होला आ सफलता खातिर जरुरियो होला. आ जे हमरा के दिल से जान ली ऊ हमार तारीफ कर सकेला. वइसे तारीफ करे वाला बहुते बड़ दिलवाला होखेला.

रउरा हिसाब से भोजपुरी सिनेमा के चाल कइसन बा? का अपने के ई ना लागे कि उद्देश्यपरक फिम देखल चाहेवालनो खातिर कुछ होखे के चाहीं?

चाल नीमन बा, रफ्तारो ठीक बा. बस दिशा से थोड़ बहुत भटक गइल बा भोजपुरी सिनेमा. भविष्य बहुते उज्जर बा. हँसत हँसत एगो शायरी सुनावल चाहब कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता? एक स्क्रिप्ट तो तबियत से बना लो यारो!

राउर फिलिमन में ई ताकत होला कि ऊ सिनेमाघरन में देखेवालन के समु्दर उड़ेल देव त राजनीति में उतरल सही कदम रहे का?

कुछ लोग बेवजह हमरा के अपना निशाना पर लिहले बाड़े. हम भोजपुरी सिनेमा खातिर बड़ से बड़ कुर्बानी देबे के तइयार बानी. राजनीति में आवे का पाछा हमार मकसद रहुवे यूपी आ बिहार में फिल्म सिटी के स्थापना आ इलाकाई रोजगार के बढ़ावा दे के पलायन रोकल. हम भोजपुरी गीत संगीत से बहुत कुछ पा चुकल बानी. सोचली कि कुछ राजनीतिक ताकत बटोर के भोजपुरी कला आ संस्कृति खातिर कुछ कइल जाव. मानत बानी कि कुछ गलती हो गइल बा जवना के सुधार लेम.

छोटका परदा पर सुरसंग्राम में अपने के जादू खूब चलल रहुवे. अब एकर एंकरिंग छोड़ला का पाछा का कारण रहुवे?

एह कार्यक्रम में स्पान्सरशिप के विवाद हो गइल रहुवे. हम राजा बिस्कुट के ब्राण्ड एम्बेसेडर हईं एहसे मजबूरन हमरा एंकरिंग छोड़े पड़ल. हम एह कार्यक्रम के सफलता के कामना करत बानी.

कहल जाला कि दोस्त आ दुश्मन बनावल ना जाला बन जालें. रउरो ढेरे दुश्मन होखीहें?

रउरा खुदे अपना सवाल के जबाब दे दिहले बानी. हमरा लागेला कि बरदाश्त कइला आ सुगम राह पर चलिये के एगो लक्ष्य पवले बानी. अलग बात बा कि कुछ लोग चाहत बाड़े कि हम भटक जाईं.

रउरा बजाज जइसन नामी कंपनियन सहित राजा बिस्कुट, मोबाइल फोन, तेल बानवे वाली कंपनी, मसाला, टीएमटी सरिया वगैरह के ब्रांड एम्बेसडर बानी, कार्पोरेट कंपनियन के कइसे बझावेनी?

कंपनी ब्रांड वैल्यू पर फैसला लेबेली स. लोग हमरा के पसन्द करेले आ कार्पोरेट कंपनी एही चलते बझ जाली स.

कहल जाला कि सिनेमा जगत में मिथुन चक्रवर्ती आ मनोज तिवारी से बढ़ के दानवीर केहू दोसर नइखे. कई लोग त एह दानवीरता पर चउँक जाले?

हम कवनो दानवीर ना हईं. अपना हितमित का परेशानी में ओह लोग का साथे खड़ा होखे के कोशिश करेनी आ करत रहेम.


स्रोत : मुंबई से शशिकान्त सिंह