अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

त का करीं ?

चहलीं तऽ बहुत कि खुश रहीँ हम,
लेकिन दिल ही दगा दे गइल त का करीं ?
लगावे चलनी खूबसूरत बाग.
लेकिन माली ही उजाड़ दिहलसि तऽ हम का करीं ?
वक्त के आँधी बड़ा बेदर्दी बा,
जब नाखुदा ही डूबा दे तऽ हम का करीं ?
दिल तऽ आखिर दिल ही बा,
जब टूट ही गइल तऽ हम का करीं ?


सबसे बड़ा रुपइया

रिश्ता नाता भूल गइल सब, रुपया अपरमपार,
रुपया अपरमपार, कमाये जब हम गईऽलीं,
धरम करम सब भूल के भइया, बन गइलीं सरकार,
बन गइलीं सरकार, के सबकर भाई कहइलीं,
रुपया के फेरा में, आपन दीन ईमान गवइलीं,
कहै अभय कविराय कि जग के एक ही मइया,
दि होल थिंग इज दैट कि भइया सबसे बड़ा रुपइया.


डोले बसन्ती बयार

डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।

गेहुँआ ‍‍‍‍‍‍‍मँटरिया से लहरल सिवनवा,
होखे निहाल भइया सगरो किसनवा.
धरती के बाढ़ल श्रृंगार, मगन मन होला हमार।।

डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।

बिहँसेला फुलवा, महकेला क्यारी,
ताक झाँक भँवरा लगावे फुलवारी.
मौसम में आइल बहार, मगन मन होला हमार।।

डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।

आईल कोयलिया अमवाँ के डरिया,
पीयर चुनरिया पहिरे सवरियाँ
सोहेला पनघट किनार, मगन मन होला हमार।।

डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।


आजा आजा ए भोला हमार नगरी

आजा आजा ए भोला हमार नगरी,
तोहरा भंगिया खियाईब भरी गगरी।।

पाप पुण्य के हाट लगल बा,
केहु राजा केहु रंक बनल बा।
नाही चाही एमा हमके तऽ कइनो गठरी
आजा आजा ए भोला हमार नगरी....।।

सच्चाई दम तोड़ रहल बा,
झूठ के डमरू बाज रहल बा।
आऽईल कलजुग के घनघोर बदरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी.....।।

लोक लाज सब छूट गईल बा,
भ्रष्टाचार के अलख जगल बा।
नाही अईब तऽ लुट जाई काशी नगरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी...।।

दर्शन दुर्लभ ताज भईल बा,
सरकारी कारागार भईल बा।
नाही जईबे हम कबहु तोहार डगरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी...।।

आजा आजा ए भोला हमार नगरी,
तोहरा भंगिया खियाईब भरी गगरी।।


वाह रे करम वाह रे धरम

मोह माया के त्याग के भईया ले लिहले सन्यास,
लेकिन जियरा ललचे लागल तोड़ दिहले बनवास।
तोड़ दिहले बनवास बन गईले सबकर नेता प्यारा,
ले आईब राम राज कऽऽ दिहले जग मे नारा।
राम राज तऽऽ आईल नाही लेकिन जब ऊऽ गईले जेल,
मचा दिहले पूरे समाज में हिंसा के ठेलम ठेल।
कहे अभय कविराय कि भईया मत कर अईसन जुरम,
अति भईला पर सब चिल्लाई वाह रे करम वाह रे धरम।।


जानवरन के मीटिंग

जानवरन के मीटिंग में भइया बस इहे मुद्दा उभर के आईल बा,
घर लुटईला के बाद हमनी के करम भी इंसानन में बटाईल बा।
सबकर दुखड़ा सुन के राजा शेर के आँख में पानी भर आईल बा,
कइल जाई जाँच होखी हक खातिर महासंग्राम के बिगुल बजाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।

सबका सहमति से एगो संविधान पर अंतिम मुहर लगाईल बा,
सबसे पहिला हमार दुखड़ा के राग ढ़ेचुँ ढ़ेचुँ में गवाईल बा।
बाल मजदूरी अऊर श्रमिक उत्पीड़न में हमार हक दबाईल बा,
ई सुनते ही घोड़ा खच्चर ऊँट के राग भी एहि में समाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।

लोमड़ी मौसी के हाल तऽ अऊरो बदतर बा के ओरहना आईल बा,
दुसरा के माल पर आपन पेट भरे कऽ हक नेतवन में बटाईल बा।
नेताजी के चर्चा सुनते ही गिरगिटिया लोगन के रंग भी बदलाईल बा,
उनकर रंग बदले कऽ एस्क्लुसिव अधिकार भी नेता लोग चुराईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।

भाई से भाई लड़त देख कुकुरन के जात भी शरम से पनियाईल बा,
पतनशील समाज में इंसान के दरिंन्दगी से जानवर भी शरमाईल बा।
जहर उगीले के सर्प राज के महारथ पर भी पूरा पानी फेराईल बा,
नारी के कमसिन जीवन में नारी के जरिये ही जहर घोलाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।

इहे हाल रही तऽ हमार का होखी के नारा से पूरा हाल थर्राईल बा,
सबसे बुरा हाल के रोना त़ऽ भईया खुद राजा शेर से ही रोआईल बा।
बड़ बड़ हथियार से लैस चूहा जइसन आदमी के रक्षक शेर कहाईल बा,
राजा शेर के दुखड़ा सुन सब जानवरन के आँख में पानी भर आईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।


याद आवेला

अमवा के पेड़वा पर झुलुआ झुलैया के याद आवेला,
गरमी के दिनवा में नानी के गऊँआ के याद आवेला।।

धूल भरल ट्रेफिक में गऊँआ के टमटम के याद आवेला,
आफिस के खिचखिच में मस्ती भरल दिनवा के याद आवेला।
दोस्तन के झूठिया देख माई से झूठिया बोलल याद आवेला,
प्रदूषण भरल पनिया देख तलवा तलैया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।

ब्रेड बटर के देखत ही मकुनी अऊर चोखा के याद आवेला,
कोल्ड ड्रिंक के केलोरी में छाछ और पन्ना के याद आवेला।
फास्ट फूडन के दुनिया में सतुआ-चबेना के याद आवेला,
अश्लील भईल सिनेमा से कठपुतली के नचवा के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।

बीबी के होटल बाजी से माई के खनवा के याद आवेला,
मतलबी पटीदारन में जानवर के वफादारी के ञाद आवेला।
दारुबाजन के हुड़दंगई में भंगिया के मस्ती के याद आवेला,
पुलिसियन के रौब देख रावण अहिरावण के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।

भ्रष्टाचारी के मनसा देख सुरसा के मुँहवा के याद आवेला,
नेताजी के करनी से गिरगिटया के रंग बदलल याद आवेला।
बेईमान भरल दुनिया में आपन बेईमानी के याद आवेला,
ना होए पुनर्जन्म अब तऽ बस अंतिम समइया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।

अमवा के पेड़वा पर झुलुआ झुलैया के याद आवेला,
गरमी के दिनवा में नानी के गऊँआ के याद आवेला।।