अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

हमार सलाम बा


विश्व के सभै भाई बन्धुअन के हमार सलाम बा.
सबकर आपस के झगड़ा मिटावल हमार काम बा.

हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई सबके अपना पर गुमान बा.
इंसान कहइला कातिर वसुधैव कुटुम्बकम हमार मुकाम बा.

का पंडित का मौलवी अउर का फादर के ई मान बा?
पंचत्तव के मंदिर में सबकर अन्त समान बा.

काल करेब सो आज हौ कर लीं, अभयजी के इ कहनाम बा.
प्यार के खातिर समये नइके, फिर काहे के अभिमान बा