अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

बबुआजी हाईटेक भईलें


शहर में जाके गाँव के चोला उतार के दिहले फेंक
पढ़ लिख कर बबुआजी हमार, हो गइलें हाईटेक.

जवना धूल में बचपन बीतल, वोही धूल में वाइरस आइल.
बाबूजी का थिंकपैड में जेनरेशनगैप के साफ्टवेयर समाइल.
खेत सिवान का चर्चा से पहिले, आपन मेमोरी दिहलें फेंक.
पढ़ लिख कर बबुआजी हमार, हो गइलें हाईटेक.

संस्कारी दुलहिन के बदला लवमैरिज के विन्डो खोलाइल.
हमरा खातिर का कईलीं कह, बँटवारा के बनवलें फाइल.
हर रियेक्शन प एन्टीरियेक्शन के फार्मूला नाहीं कइले चेक,
पढ़ लिख कर बबुआजी हमार, हो गइलें हाईटेक.

देशी सिस्टम के गारी देके एनआरआई के पेनड्राइव बनाईल.
विदेशी रुपिया के सूद का खातिर देशी बैँक के मेल भेजाइल.
स्वार्थ के हार्डडिस्क में फुल मेमोरी पर स्वार्थ के रोटी दिहले सेंक
पढ़ लिख कर बबुआजी हमार, हो गइलें हाईटेक.